एक इस्तीफा और एनडीए की बल्ले -बल्ले, 40 साल की दोस्ती एक झटके में टूटी, जानिए कैसे

एक इस्तीफा और एनडीए की बल्ले -बल्ले, 40 साल की दोस्ती एक झटके में टूटी, जानिए कैसे

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-27 06:06 GMT
एक इस्तीफा और एनडीए की बल्ले -बल्ले, 40 साल की दोस्ती एक झटके में टूटी, जानिए कैसे

डिजिटल डेस्क,पटना। 11 अगस्त 2014,को एक बार फिर राम-लखन की जोड़ी ने हाथ मिला लिया था। उस दिन लालू ने नीतीश को छोटा भाई बताते हुए गले लगाया था और कहा था हम साथ-साथ हैं और रहेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने देश को बीजेपी मुक्त बनाने की भी शपथ ली थी। दोनों की ये जोड़ी देखकर ऐसा लग रहा था कि ये कभी ना टूटने वाली जोड़ी है, लेकिन समय का चक्र ऐसा बदला कि सब कुछ पांच घंटे में ही बदल गया। बिहार के राम-लखन की जोड़ी टूटने के कगार पर आ खड़ी हुई है अब देखना ये है कि दोनों एक ही साथ एक ही राह पर चलते हैं या अलग-अलग राह पकड़ लेते हैं।

दरअसल, बिहार की राजनीति में लालू और नीतीश को बड़े भाई और छोटे भाई के नाम से ही जाना जाता है। एक अरसे पहले एक साथ राजनीति के मैदान में उतरे लालू-नीतीश के रिश्तों में उतार चढ़ाव आता रहा है। जरा नजर डालते हैं उनके बनते बिगडते रिशतों पर।

लालू और नीतीश की दोस्ती का सिरा 1970 से शुरू 

लालू और नीतीश की दोस्ती का सिरा 1970 से शुरू हुआ था, लालू और नीतीश पहली बार जयप्रकाश नारायण के सोशलिस्ट आंदोलन के दौरान साथ आए। ये समय की बात थी कि दोनों को एक ही दुश्मन के खिलाफ लड़ना था। उस दौरान भी लालू की लड़ाई हिंदुत्व की विचारधारा से थी अपनी ताकत को बनाए रखने के लिए लालू नीतीश कुमार जैसे नेता को अपने साथ रखना चाहते थे। इंदिरा गांधी के खिलाफ जयप्रकाश का आंदोलन दिल्ली में सत्ता बदल ने में कामयाब रहा। युवा नेता के रूप में नीतीश और लालू की भी सफलता थी। दोनों की सियासत अब पटरी पर थी।

दोनों साथ आए राजनीति में
लालू-नीतीश राजनीति में 1974 में आए। जनता पार्टी में लालू और नीतीश की पहचान बड़े भाई और छोटे भाई के तौर पर होती था।

20 साल बाद 1994 में छोड़ा साथ

20 साल बाद साल 1994 में नीतीश ने लालू का साथ छोड़ अपना रास्ता अलग कर लिया। यही वो समय था जब लालू के ऊपर चारा घोटाला सहित कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। नीतीश ने जनता पार्टी से अलग होने के बाद अलग पार्टी बनाई और बीजेपी से हाथ मिला लिया। समय के साथ-साथ पार्टी का नाम भी बदल गया। समता पार्टी, जेडीयू में समाहित हो गई। इस दौरान नीतीश कुमार ने लालू के खिलाफ जमकर हमला बोला। लालू-राबड़ी के शासन काल को "जंगल राज" के नाम से नवाजा। 2005 में नीतीश कुमार ने बीजेपी की मदद से बिहार की सत्ता संभाली, फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

2013 में तोड़ा बीजेपी से साथ

समय के साथ सियासत भी बदलती रही। वर्ष 2013 आम चुनाव में नीतीश कुमार बीजेपी से 17 साल पुराना रिशता तोड़ अलग हो गए। वजह थी बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाना।

सियासत ने 2014 में फिर पलटी बाजी

2014 में नीतीश कुमार राज्यसभा चुनाव में समर्थन के लिए लालू के पास पहुंचे। 20 साल बाद दोनों नेता गले मिले और फिर महागठबंधन की नींव पड़ी। कांग्रेस भी साथ आई और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को करारी मात झेलनी पड़ी। उस समय लालू को नीतीश की जरूरत थी और नीतीश को उनकी। किसी ने सहीं कहा कि सियासत के रिशते कब बदल जाये किसी को नहीं पता नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू से 20 महीना पुराना रिश्ता तोड़ बीजेपी में वापसी की और बीजेपी के मदद से छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

 

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