तीन तलाक पर रोक लगी है , तीन बार तलाक देने पर नहीं

तीन तलाक पर रोक लगी है , तीन बार तलाक देने पर नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-22 12:33 GMT
तीन तलाक पर रोक लगी है , तीन बार तलाक देने पर नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में 3 तलाक कहकर पत्नी को त्यागने की कुप्रथा पर रोक लगाईं है न कि 3 बार तलाक देने पर। सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार के फैसले की व्याख्या करने पर यह साफ होता है कि दोनों मसलों के बीच एक फर्क है जिसे जानना बहुत जरुरी है। 

एक बार में तीन तलाक यानी ट्रिपल तलाक 

इसमें पति एक ही बार में फोन, ईमेल, या मैसेज में तलाक-तलाक-तलाक कहकर अपनी पत्नी से सम्बन्ध खत्म कर लेता है। इसके बाद भी दोनों के बीच पेच-अप तभी हो सकता है, जब हलाला की प्रक्रिया से गुजरे। इसे इस्लाम में तलाक-ए-बिद्दत कहा जाता है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।    

क्या है तीन अलग -अलग मौको पर तीन तलाक?

  • अगर पति अपनी पत्नी को तलाक देने का फैसला करता है तो पत्नी के पीरियड्स खत्म होने के बाद बिना सेक्स किए एक बार तलाक देना होगा। इसके बाद भी पत्नी तीन पीरियड्स की अवधि तक पति के घर रहती है इसे इद्दत कहते हैं। इस बीच दोनों के बीच सेक्स नहीं होता तो तलाक हो जाएगा। 
  • अगर दोनों फिर से साथ रहना चाहते हैं, तो उन्हें फिर से शादी करनी होगी, या फिर सुलह के बाद शादी की जरुरत नहीं पड़ती।  
  • अगर पति दूसरी बार पत्नी को तलाक देना चाहे तो भी पहले की तरह प्रक्रिया अपनानी होगी। इसके बाद ही दोनों आपस में शादी कर सकते है।
  • अगर पति तीसरी बार तलाक देगा तो पत्नी से शादी का अधिकार उसे नहीं होगा। इस सूरत में महिला किसी और के साथ शादी का अधिकार रखती है। 
  • अगर महिला अपने पहले पति से शादी करना चाहे तो यह तभी संभव है जब मौजूदा पति की मौत हो जाए या किसी वजह से वह उसको तलाक दे दे। भारतीय मुस्लिम समाज में इसी योजनाबद्ध तरीके को हलाला कहते है और यह इस्लाम के खिलाफ है। 

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