सबरीमाला के कपाट खुले, तृप्ती देसाई को नहीं मिली एंट्री, पुणे लौटीं

सबरीमाला के कपाट खुले, तृप्ती देसाई को नहीं मिली एंट्री, पुणे लौटीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-16 15:25 GMT
सबरीमाला के कपाट खुले, तृप्ती देसाई को नहीं मिली एंट्री, पुणे लौटीं
हाईलाइट
  • 62 दिनों के लिए खुले सबरीमाला मंदिर के कपाट
  • तृप्ति देसाई और 6 अन्य महिलाओं को कोच्चि एयरपोर्ट से लौटना पड़ा वापस
  • पहले दिन 10 से 50 साल की कोई भी महिला नहीं कर पाई प्रवेश

डिजिटल डेस्क, कोच्चि। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के द्वार एक बार फिर खुल चुके हैं। शुक्रवार शाम 5 बजे खुले मंदिर के कपाट अब अगले 2 महिनों तक भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए खुले रहेंगे। हालांकि पहले दिन मंदिर में 10 से 50 वर्ष की कोई भी महिला प्रवेश नहीं कर पाई। भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति देसाई और 6 अन्य महिलाएं मंदिर में घुसने के लिए कोच्चि एयरपोर्ट तक तो आईं, लेकिन भारी विरोध और धमकियों के बाद सभी को एयरपोर्ट से ही वापस लौटना पड़ा।

तृप्ति देसाई ने कोच्ची एयरपोर्ट पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने टैक्सी ड्राइवरों को हमें सर्विस न देने की धमकी दी। होटल स्टॉफ को भी रूम न देने के लिए कहा गया। देसाई ने कहा कि यह बड़ी दुख की बात है कि जो लोग खुद को अयप्पा के भक्त बताते हैं वे हमें धमकियां दे रहे हैं।

बता दें कि तृप्ति देसाई और उनकी महिला साथियों के कोच्चि एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद से ही एयरपोर्ट के बाहर अयप्पा भक्तों का प्रदर्शन शुरू हो गया था। इसमें बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता शामिल थे। भारी विरोध को देखते हुए पुलिस ने तृप्ति व अन्य को एयरपोर्ट पर ही रोके रखा, जब कई घंटों के बाद भी विरोध नहीं थमा तो तृप्ति समेत सभी सात महिलाएं पुणे वापस लौट गईं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। कोर्ट के फैसले के अनुसार हर उम्र की महिलाएं मंदिर में जाने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सबरीमाला मंदिर के कपाट दो बार खुलकर बंद भी हो गए, लेकिन 10 से 50 वर्ष की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में फैसला आने के बाद भी मंदिर प्रांगण में महिलाओं का प्रवेश वर्जित ही रहा।

गौरतलब है कि सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला देने के बाद से ही केरल में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। इससे पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी।

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