केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद ने 1978 में चोरी हुईं मूर्तियां तमिलनाडु प्रशासन को सौंपीं

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद ने 1978 में चोरी हुईं मूर्तियां तमिलनाडु प्रशासन को सौंपीं

IANS News
Update: 2020-11-18 14:32 GMT
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद ने 1978 में चोरी हुईं मूर्तियां तमिलनाडु प्रशासन को सौंपीं
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नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को अगस्त 2019 में इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट से सूचना मिली थी कि 4 प्राचीन मूर्तियां भगवान (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) तमिलनाडु के एक मंदिर से चुराई गई थीं और भारत से बाहर तस्करी कर ले जाई गई थीं। ये मूर्तियां बुधवार को तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दी गईं।

ठीक 42 साल पहले 24 नवंबर, 1978 को तमिलनाडु के श्रीराजगोपाल मंदिर से ये मूर्तियां चुराई गई थीं और इन्हें लंदन में बेच दिया गया था। कांसे की बनीं ये मूर्तियां फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पास थीं, जिन्हें बुधवार को तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दिया गया।

भगवान की मूर्तियों को सौंपने के लिए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल खुद एएसआई मुख्यालय पहुंचे, जहां से उन्होंने इन मूर्तियों को निकलवाकर तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दिया।

इन मूर्तियों में भगवान राम की मूर्ति की लंबाई 90.5 सेंटीमीटर है। भगवती सीता की मूर्ति 74.5 सेंटीमीटर और लक्ष्मण की मूर्ति 78 सेंटीमीटर लंबी है।

इन तीनों धातु मूर्तियों का फोटो डॉक्यूमेंटेशन जून 1958 में तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले में आनंदमंगलम के श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर में किया गया था। यह मंदिर विजयनगर काल के दौरान बनाया गया था। इस मंदिर में 4 मूर्तियां- राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की शामिल थीं। ये मूर्तियां कम से कम 1998 तक इसी मंदिर में थीं और बाद में चोरी हो गईं।

आइडल विंग ने उचित जांच करने के बाद लंदन स्थित भारतीय उच्चयोग से एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट के अनुसार, श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर में चोरी 24 नवंबर, 1978 को हुई थी। वहीं अपराधी भी पकड़े गए थे। हालांकि मूर्तियां बरामद नहीं हो सकी थीं। फोटो के आधार पर इन मूर्तियों की जांच की गई तो पाया गया कि ये सभी मूर्तियां वही हैं, जो श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर से चुराई गई थीं।

मूर्तियों के वर्तमान स्वामी ने जब यह पाया कि मूर्तियां चोरी की गई हैं, तो उन्होंने इसे लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस को सौंप दिया। इन मूर्तियों को मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने 15 सितंबर 2020 को भारतीय उच्चायोग, लंदन को सौंप दिया। उच्चायोग ने ये मूर्तियां वापस करने का फैसला किया।

पिछले कुछ वर्षो में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एमईए और भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और डीआरआई के साथ मिलकर (सन् 1976 से लगभग 53 पुरावशेषों) वहीं सन् 2014 से लगभग 40 पुरावशेषों की भारत वापसी को संभव बनाया है। साथ ही सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने और चोरी-तस्करी हुईं प्राचीन वस्तुओं की जांच और बहाली के क्षेत्रमें सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

एमएसके/एसजीके

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