जेएनयू में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मचा बवाल, फिल्म देख रहे छात्रों पर हुआ पथराव 

बवाल जेएनयू में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मचा बवाल, फिल्म देख रहे छात्रों पर हुआ पथराव 

Manuj Bhardwaj
Update: 2023-01-24 17:04 GMT
जेएनयू में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मचा बवाल, फिल्म देख रहे छात्रों पर हुआ पथराव 
हाईलाइट
  • प्रशासन ने कैंपस की बिजली काट दी है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विवादों में रहने वाला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहा है। बीबीसी की डाक्यूमेंट्री को लेकर यूनिवर्सिटी कैंपस में मंगलवार रात को जबरदस्त बवाल हो गया। छात्र संघ ने साफ कर दिया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री उसकी तरफ से सभी छात्रों को दिखाई जाएगी। लेकिन इस बीच प्रशासन ने कैंपस की बिजली काट दी है, जिसके बाद सभी छात्र हाथ में लाइट लेकर बाहर विरोध कर रहे हैं। इस बीच डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पथराव भी हुआ है। ये किसने किया ये बात अभी सामने नहीं आई है। फिलहाल इस घटना के बाद से जेएनयू में तनाव बढ़ गया है। बात इतनी बढ़ चुकी है कि नौबत हाथापाई पर आ गई है। कैंपस में जमकर ईंट-पत्थर फेंके गए हैं।  मौके पर पुलिस पहुंच गई है और स्थिति को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है। 

बता दें कि जेएनयूएसयू की ओर से पहले ही साफ कर फिया गया था कि वे कैंपस में छात्रों को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाएंगे। यह घोषणा तब की गई जब जेएनयू प्रशासन ने स्पष्ट किया कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं की जाएगी। लेकिन तभी छात्र संघ ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का ऐलान कर दिया और इसी कड़ी में मंगलवार को इसे दिखाया भी गया। बताया जा रहा है कि कुछ छात्र अभी भी अपने फोन पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देख रहे हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा बिजली काट दी गई है।

क्या है मामला 

विश्वविद्यालय में छात्रों का एक गुट इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करना चाहता है। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के इस गुट ने से डॉक्यूमेंट्री इंडिया द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग को रद्द करने को कहा है। जेएनयू के छात्रों का यह ग्रुप 24 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करना चाह रहा है।

गौरतलब है कि इससे पहले भारत सरकार, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री और देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा बता चुका है। विदेश मंत्रालय इस संबंध में कह चुका है कि हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है, यह दुष्प्रचार है।

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