उत्तराखंड के CM ने चाय-नाश्ते में खर्च दिए 68 लाख से ज्यादा, RTI में खुलासा

उत्तराखंड के CM ने चाय-नाश्ते में खर्च दिए 68 लाख से ज्यादा, RTI में खुलासा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-06 07:02 GMT
उत्तराखंड के CM ने चाय-नाश्ते में खर्च दिए 68 लाख से ज्यादा, RTI में खुलासा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गेस्ट्स के चाय-नाश्ते पर ही 68 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। राइट टू इन्फोर्मेशन (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है। जानकारी में सामने आया है कि सरकार ने 11 महीनों में ही गेस्ट्स को चाय-नाश्ता कराने पर ही 68 लाख से ज्यादा खर्च कर चुकी है। बता दें कि प्रदेश में पिछले साल विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपनी सरकार बनाई थी और 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी।


एक्टिविस्ट ने मांगी थी जानकारी

खबरों के मुताबिक, एक RTI एक्टिविस्ट ने 19 दिसंबर 2017 को एप्लीकेशन लगाई थी। इस एक्टिविस्ट का नाम हेमंत गौनिया बताया जा रहा है। इस एप्लीकेशन में पूछा गया था कि "त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से अब तक चाय-नाश्ते पर कितना सरकारी पैसा खर्च हुआ है?"

 



सरकार ने दिया ये जवाब

हेमंत गौनिया की RTI पर उत्तराखंड सरकार ने जवाब दिया कि "18 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके बाद से अब तक गेस्ट्स के चाय-पानी और नाश्ते पर 68,59,865 रुपए का सरकारी खर्च हुआ है।"

चुनावों में 57 सीटें जीती थी बीजेपी ने

पिछले साल उत्तराखंड की 70 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुए थे। इन चुनावों में बीजेपी ने 57 सीटों के साथ अपनी सरकार बनाई थी। 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उनके साथ 9 मंत्रियों ने भी शपथ ली थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड की डोईवाला सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को करारी शिकस्त दी। उन्होंने 2002 में अपना पहला विधानसभा चुनाव डोईवाला सीट से लड़ा और जीत हासिल की थी।

कौन हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत?

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली बार 2002 में डोईवाला सीट से चुनाव लड़ा था और 2017 में वो तीसरी बार इस सीट से विधायक बने थे। इसके साथ ही त्रिवेंद्र रावत बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं और उनके पिता प्रताप सिंह रावत सेना में रह चुके हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत 9 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं और उनकी पत्नी स्कूल टीचर हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले रावत 1983-2002 तक आरएसएस के प्रचारक भी रहे हैं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है। 

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