सिंगल और मैरिड के लिए टैक्स स्लैब में थे अलग अलग प्रावधान, फैमिली स्कीम के नाम पर कुंवारों से लिया जाने लगा था ज्यादा टैक्स

एक बजट ऐसा भी सिंगल और मैरिड के लिए टैक्स स्लैब में थे अलग अलग प्रावधान, फैमिली स्कीम के नाम पर कुंवारों से लिया जाने लगा था ज्यादा टैक्स

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Update: 2023-01-30 11:41 GMT
सिंगल और मैरिड के लिए टैक्स स्लैब में थे अलग अलग प्रावधान, फैमिली स्कीम के नाम पर कुंवारों से लिया जाने लगा था ज्यादा टैक्स
हाईलाइट
  • साल 1955-56 के केंद्रीय बजट को पहली बार हिंदी वर्जन में लाया गया था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश का आम बजट 1 फरवरी 2023 को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण संसद में पेश करने वाली हैं। इस बार आम जनता को उम्मीद है कि उनके हित में सरकार कोई बड़ा फैसला कर सकती है। टैक्सपेयर्स होने के नाते लोगों को इस बार के बजट से खासा विस्वास है कि सरकार कुछ रियायत देगी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में अलग-अलग सरकारों ने अपने बजट में कई अहम फैसले लिए। कुछ बजट से लोगों को राहत मिली तो कुछ ने उनकी पॉकेट पर बोझ डालने का काम किया। उन्हीं चर्चित बजटों में से एक केंद्रीय बजट ऐसा भी रहा, जिसमें शादीशुदा और अविवाहितों के लिए  एक खास तरह की टैक्स स्लैब की घोषणा की गई थी।

सुर्खियां में था शादीशुदा और अविवाहितों का टैक्स स्लैब 

साल 1955-56 के केंद्रीय बजट में एक अहम फैसला लिया गया था। तब देश के वित्त मंत्री सीडी देशमुख थे। उन्हीं ने शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब का प्रस्ताव रखा था। जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी। तत्कालीन सरकार ने टैक्स स्लैब लाने की मुख्य वजह फैमिली स्कीम बताई थी। इस स्कीम के तहत शादीशुदा लोगों को सालाना 1500 रु. की आय तक, टैक्स में छूट दे दी गई थी। जबकि कुंवारों के लिए हजार रु. सालाना आय पर ही टैक्स लगा दिया गया था। इस बजट से पहले तक शादीशुदा और कुंवारों दोनों के लिए टैक्स में छूट की सीमा एक ही थी। जो 1500 रु. सालाना रखी गई थी। यानी एक साल में डेढ़ हजार रु कमाने वालों को कोई टैक्स नहीं देना होता था।

वर्तमान में नीति आयोग पूर्व में योजना आयोग हुआ करती थी। जिसके सिफारिशों पर तत्कालीन सरकार ने ये फैसला लिया था। इसके अलावा अधिकतम बजट दरों को घटाने का काम भी किया गया था। जहां पर पांच आने दर लगा करते थे वहां सरकार ने इसे घटाकर चार आने कर दिए थे। इसी वर्ष बजट का हिंदी वर्जन भी लाया गया था। जो उस वक्त के इतिहास में पहली बार हुआ था। इसके बाद से ही आम बजट को हिंदी वर्जन में भी लाया जाने लगा।

1955-56 के टैक्स स्लैब

साल 1955-56 के टैक्स स्लैब की बात करें, तो शून्य से 1,000 रूपये की सालाना इनकम पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती थी। 1,001 रूपये से 5,000 रूपये की आमदनी पर नौ पाई का टैक्स देनी पड़ती थी। जबकि 5,001 रूपये से 7,500 रूपये की कमाई पर एक आना और नौ पाई टैक्स का भुगतान करना पड़ता था। वहीं 7,501 रूपये से 10,000 रूपये कमाई पर दो आना तीन पाई का टैक्स देना पड़ता था। 

हो सकते हैं बड़े एलान

वहीं इस बार के बजट की बात करें तो टैक्सपेयर्स को काफी उम्मीद है। ऐसा संभव है कि सरकार इस बार मीडिल क्लास वालों के लिए कुछ राहत दें। माना जा रहा है कि, 2.5 लाख की इनकम पर सरकार छूट दे सकती है। जबकि 2.5 लाख की इनकम छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये होने की उम्मीद किया जा रहा है। वर्तमान समय में 2.5 से 5 लाख तक की सैलरी पर पांच फीसदी और पांच से 7.5 लाख पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है। 


 

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