राफेल सौदे में FIR दर्ज करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण

राफेल सौदे में FIR दर्ज करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-24 16:50 GMT
राफेल सौदे में FIR दर्ज करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण
हाईलाइट
  • इस याचिका में शीर्ष अदालत की निगरानी में राफेल डील की जांच करने की मांग की गई है।
  • राफेल जेट सौदे को लेकर देश में छिड़े सियासी घमासान के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई है।
  • वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण
  • पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने ये याचिका दायर की है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राफेल जेट सौदे को लेकर देश में छिड़े सियासी घमासान के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में शीर्ष अदालत की निगरानी में राफेल डील की जांच करने की मांग की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने ये याचिका दायर की है। 

याचिका में मांग करते हुए कहा गया है कि राफेल डील को लेकर FIR दर्ज की जाए। इसके अलावा ये भी कहा गया है कि कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दें कि वह इसकी जांच CBI को ट्रांसफर न करे। याचिका दायर करने से पहले प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने 4 अक्टूबर को तत्कालीन CBI निदेशक आलोक वर्मा से मुलाकात की थी। उन्होंने आलोक वर्मा से राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़ी ऑफसेट निविदा में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की थी। अब आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि CBI ने दबाव में आकर FIR दर्ज नहीं की।    

इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को ही राजस्थान के झालावार में सभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ने कहा था कि सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे, इसलिए उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया। इसमें साफतौर पर प्रधानमंत्री का संदेश झलकता है कि राफेल के इर्द गिर जो भी आएगा, उसे या तो हटा दिया जाएगा या मिटा दिया जाएगा। 

क्या है राफेल डील? 
भारत ने 2010 में फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी। उस वक्त यूपीए की सरकार थी और 126 फाइटर जेट पर सहमित बनी थी। इस डील पर 2012 से लेकर 2015 तक सिर्फ बातचीत ही चलती रही। इस डील में 126 राफेल जेट खरीदने की बात चल रही थी और ये तय हुआ था कि 18 प्लेन भारत खरीदेगा, जबकि 108 जेट बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में असेंबल होंगे यानी इसे भारत में ही बनाया जाएगा। फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में ये घोषणा की कि हम 126 राफेल फाइटर जेट को खरीदने की डील कैंसिल कर रहे हैं और इसके बदले 36 प्लेन सीधे फ्रांस से ही खरीद रहे हैं और एक भी राफेल भारत में नहीं बनाया जाएगा।  

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