राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटाया गया तोमर का खून की खेती वाला बयान, विपक्ष ने जमकर किया था हंगामा

राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटाया गया तोमर का खून की खेती वाला बयान, विपक्ष ने जमकर किया था हंगामा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-05 19:14 GMT
राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटाया गया तोमर का खून की खेती वाला बयान, विपक्ष ने जमकर किया था हंगामा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के शुक्रवार को राज्यसभा में दिए खून की खेती करने वाले बयान को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। कृषि मंत्री ने राज्यसभा में कृषि कानूनों पर बहस करते हुए कहा था, दुनिया जानती है कि खेती के लिए पानी की जरूरत होती है, लेकिन कांग्रेस तो खून की खेती करती है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कृषि मंत्री तोमर के बयान पर तीखा पलटवार किया था। शिकायत के बाद राज्यसभा सभापति के निर्देश पर खून की खेती शब्द सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटाया गया।

‘खून से खेती’ वाले बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी निशाना साधा था। उन्होंने पूछा, "जो गोधरा में हुआ वो पानी की खेती थी या खून की खेती थी। भारतीय जनता पार्टी हमेशा से नफरत और हिंसा की राजनीति करती आई है, कांग्रेस पार्टी सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलती आई है।" दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर ये सांप्रदायिक दंगे कराएंगे, तभी उनको फायदा होगा। यही कारण है कि असदुद्दीन ओवैसी और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है।

कांग्रेस की तरफ से इस पर आलोचना के बाद कृषि मंत्री ने इस पर सफाई दी। तोमर ने कहा कि उन्होंने ऐसा बयान महज इसलिए दिया था क्योंकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मेरे स्पीच के दौरान खून की खेती वाला डॉक्यूमेंट दिखाया था। वहीं तोमर ने कहा कि हमारी सरकार गांवों और किसानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को भड़काया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जाएगी। कोई हमें बताए कि कानून के किस प्रावधान में किसानों की जमीन छीनने का जिक्र है? उन्होंने कहा, "विपक्ष और कानून संगठन बताएं कि इस कानून में काला क्या है?"

बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं।

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