राजनीति: वीरप्पन की बेटी ने थामा भाजपा का हाथ, क्या इसके पीछे बड़ी रणनीति!

राजनीति: वीरप्पन की बेटी ने थामा भाजपा का हाथ, क्या इसके पीछे बड़ी रणनीति!

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-03 11:20 GMT
राजनीति: वीरप्पन की बेटी ने थामा भाजपा का हाथ, क्या इसके पीछे बड़ी रणनीति!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कभी दक्षिण भारत के जंगलों में दहशत का पर्याय रहे चंदन तस्कर वीरप्पन (Veerappan) की बेटी विद्या रानी (Vidya Rani) ने जब बीते दिनों भाजपा का दामन थामा था तो कई सवाल उठे थे। हालांकि पार्टी ने वीरप्पन और उनकी बेटी को अलग-अलग नजरिए से देखे जाने की बात कहकर बचाव करने की कोशिश की थी। हर किसी के जेहन में यह भी सवाल उठा कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि भाजपा को 2004 में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए वीरप्पन की बेटी को पार्टी में शामिल करना पड़ा?

पार्टी सूत्रों से बात करने पर इस सवाल का जवाब मिलता है कि भाजपा ने वोट बैंक की मजबूरी में यह कदम उठाया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक वीरप्पन की बेटी के जरिए पार्टी तमिलनाडु में करीब 20 प्रतिशत वोट बैंक से जुड़ने की कोशिश कर रही है। दरअसल, तमिलनाडु में वन्नियार एक प्रभावशाली जाति समूह है। वीरप्पन का परिवार इसी जाति का है।

तमिलनाडु में अति पिछड़ा वर्ग में आने वाली इस जाति के लोगों की आबादी करीब 20 प्रतिशत है। हालांकि वन्नियार को एसटी का दर्जा देने की मांग वाली याचिकाओं में इस जाति की आबादी 25 प्रतिशत होने का दावा किया गया है। तमिलनाडु के उत्तरी जिलों में इस जाति समूह के लोगों का ज्यादा वर्चस्व है। तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा बहुत कोशिशों के बाद भी जड़ें जमाने में कामयाब नहीं हो पाई है। भाजपा राज्य में द्रविड़ राजनीति को चुनौती देने के लिए हिंदुत्व की पिच पर जातियों को गोलबंद करने की कोशिश में है। ऐसे में एक रणनीति के तहत वीरप्पन की बेटी को पार्टी में शामिल किया है।

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भाजपा के एक नेता ने कहा कि वीरप्पन के गलत कर्मो की सजा बच्चे क्यों भुगते। वीरप्पन ने जो किया उसका दंड मिला। वीरप्पन की बेटी पढ़-लिखकर अगर वकालत के प्रोफेशन से राजनीति में उतरकर देश और समाज के लिए कुछ करना चाहती है तो हमने प्लेटफॉर्म देकर कौन सा गुनाह कर दिया?

बता दें कि चंदन तस्कर वीरप्पन ने तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में गढ़ बना रखा था। चंदन की तस्करी के साथ हाथियों को मारकर दांतों की तस्करी में भी वीरप्पन की सक्रियता थी। दो दशक तक वीरप्पन के पीछे पुलिस पड़ी रही। आखिरकार दक्षिण भारत में दहशत का पर्याय बने वीरप्पन को पुलिस ने 18 अक्टूबर 2004 को हुई मुठभेड़ में मार गिराया था।

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उनकी बेटी विद्या रानी ने बीते 23 फरवरी को तमिलनाडु के कृष्णागिरि में हुए एक कार्यक्रम में भाजपा की सदस्यता ली थी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने उनकी ज्वाइनिंग कराई थी।
 

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