अरुण जेटली की क्यों खलती है कमी, बीजेपी नेताओं ने बताए कारण

अरुण जेटली की क्यों खलती है कमी, बीजेपी नेताओं ने बताए कारण

IANS News
Update: 2020-08-23 16:00 GMT
अरुण जेटली की क्यों खलती है कमी, बीजेपी नेताओं ने बताए कारण

नई दिल्ली, 23 अगस्त(आईएएनएस)। भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व वित्त मंत्री स्व. अरुण जेटली की कमी पार्टी को आज भी खलती है। जिस तरह से कई बड़े मुद्दों पर पार्टी के घिरने पर वह संकट मोचक बन जाते थे, नेताओं और कार्यकतरओ के सुख-दुख का ख्याल करते थे, उसे आज भी पार्टी के लोग याद करते हैं।

आईएएनएस ने अरुण जेटली की 24 अगस्त को पहली पुण्यतिथि से एक दिन पहले उनके साथ काम कर चुके पार्टी के कुछ राष्ट्रीय पदाधिकारियों से बात की तो सभी ने बताया कि जेटली के जाने से खाली हुए स्थान की आज तक भरपाई नहीं हो सकी है। पार्टी को उनकी कमी हमेशा खलेगी। बीजेपी नेताओं ने उन्हें एक संकट मोचक, पार्टी से बाहर स्वीकार्यता रखने वाले और जूनियर नेताओं के मददगार नेता के तौर पर याद किया।

बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी सुनील देवधर ने अरुण जेटली को एक बेजोड़ वक्ता और शानदार व्यक्तित्व का नेता बताया। उन्होंने कहा, उनके पास जबर्दस्त बौद्धिक संपदा थी। उनके तर्क बेमिसाल होते थे, जिसे मैं जेटली एंगल कहता हूं। जब-जब पार्टी पर विपक्ष हमलावर होता, तब जेटली ढाल लेकर खड़े हो जाते। राज्यसभा में उनका कौशल देखते ही बनता था। उनकी कमी आज महसूस होती है।

सुनील देवधर ने आईएएनएस से कहा, प्रधानमंत्री मोदी के हर कठोर फैसले पर विपक्ष के उठाए जाने वाले सवालों पर जेटली जी गजब बचाव करते थे। बोलते ही नहीं थे, बल्कि तीखे तर्कों के साथ ब्लॉग लिखकर पार्टी के पक्ष में पूरी बहस ही मोड़ देते थे। यहां तक कि गंभीर रूप से बीमारी में भी वह नियमित ब्लॉग लिखते रहे। उनका ब्लॉग पार्टी नेताओं का ज्ञान बढ़ाना वाला होता था। ब्लॉक पढ़ने के बाद फिर नेताओं को और रिसर्च की जरूरत न पड़ती और कहीं भी डिबेट करने में काबिल हो जाते। उनकी बातें पार्टी को एक लाइन देती थी।

पूर्वोत्तर में आरएसएस प्रचारक के रूप मे लंबे समय तक काम कर चुके सुनील देवधर ने कहा, मैने 1991 से 2010 के बीच 19 साल में नॉर्थ-ईस्ट के मुद्दे पर करीब तीन हजार भाषण दिए होंगे। लेकिन 2010 में दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में जेटली ने पूर्वोत्तर के बारे में ऐसा भाषण दिया, जो मेरे तीन हजार भाषणों पर भारी था। मणिपुर में जब गतिरोध पैदा होने से संकट गहराया था तो मेरे अनुरोध पर वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मिलने चले गए थे। नोटबंदी, जीएसटी, राफेल जैसे मुद्दों पर उन्होंने अपने तर्कों से विपक्ष को निरुत्तर कर दिया था।

1982 से अरुण जेटली के साथ काम करने वाले बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी सरदार आरपी सिंह ने आईएएनएस से उन्हें मानवीय गुणों से भरा नेता बताया। आईएएनएस को सरदार आरपी सिंह ने बताया, एक बार जम्मू का एक कार्यकर्ता अस्पताल में भर्ती हुआ तो जानकारी होने पर जेटली ने पूरा खर्च उठाया था। पार्टी के दिग्गज नेता गोविंदाचार्य का भी एक बार उन्होंने दिल्ली में इलाज कराया था।

सरदार आरपी सिंह ने कहा, 1982 में भाजयुमो दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जेटली ने मुझे सिर्फ 21 साल की उम्र में ही प्रदेश मंत्री बनाकर अपनी टीम में शामिल किया था। उनकी कमी आज भी सभी को महसूस होती है। वह जूनियर नेताओं के मार्गदर्शक थे और उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करते थे। जेटली ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में राजनीतिक और प्रशासनिक छाप छोड़ी।

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल भी अरुण जेटली की कमी महसूस करते हैं। लंबे समय तक अरुण जेटली के साथ काम कर चुके गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने उन्हें टैलेंट की पहचान करने वाला नेता बताया।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, वह टैलेंटेड नेताओं को आगे बढ़ाने में यकीन रखते थे। लेजिस्लेशन (विधि-निर्माण) में उन्हें महारत हासिल थी। किसी भी विषय की वह गहराई में जाते थे। वह बीजेपी की ऐसी इंटेल्चुअल प्रापर्टी थे, जिसकी कमी आज भी खल रही है। जेटली की स्वीकार्यता पार्टी की सीमाओं से बंधी नहीं थी। राजनीतिक मतभेद को उन्होंने कभी मनभेद में नहीं बदलने दिया। जेटली राजनीति में कम्युनिकेशन का महत्व जानते थे। मीडिया के साथ उनके रिश्तों की आज भी चर्चा होती है। जेटली ने हर तरह से भाजपा की राजनीति को समृद्ध करने में योगदान दिया।

एनएनएम/आरएचए

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