क्या अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की दो महिलाएं ठोकेंगी ताल?

राष्ट्रपति पद के चुनाव क्या अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की दो महिलाएं ठोकेंगी ताल?

IANS News
Update: 2022-11-22 09:30 GMT
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की दो महिलाएं ठोकेंगी ताल?
हाईलाइट
  • बाइडेन के फैसले पर निर्भर

डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अब यह सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या अमेरिका में अगले राष्ट्रपति पद के चुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों से भारतीय मूल की महिलाएं ही ताल ठोकेंगी?

इस संभावना को तब और बल मिल गया जब एक सिख अप्रवासी की बेटी और रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने चुनाव लड़ने का संकेत दिया। उधर, डेमक्रेटिक के उम्मीदवार के रूप में उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए चुनाव में खड़े होने का रास्ता, 80 साल के जो बाइडेन के फैसले पर निर्भर करता है कि वह दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ेंगे कि नहीं।

हालांकि अब तक बाइडेन ने यही कहा है कि वह दूसरे कार्यकाल के लिए भी तैयार हैं, लेकिन इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम फैसला अगले साल की शुरुआत में अपने परिवार के साथ बैठ कर करेंगे।

अमेरिकी कैबिनेट में सेवा करने वाली भारतीय-अमेरिकी मूल की हेली ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार कर रही हैं। जल्द ही इस बारे में और बताएंगी।

हेली ने कहा, मैंने कठिन चुनाव जीते हैं। मैं हर बार अंडरडॉग रही हूं। लेकिन जब लोग मुझे कम आंकते हैं, तो यह मजेदार होता है। लेकिन मैं कभी कोई चुनाव नहीं हारी हूं और अब मैं आगे की राह के लिए तैयार हूं।

यह बात उन्होंने लास वेगस, नेवादा में रिपब्लिकन यहूदी गठबंधन (आरजेसी) की एक बैठक में कही, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा राष्ट्रपति पद की होड़ में शामिल होने की घोषणा के बाद पहली बड़ी रिपब्लिकन राजनीतिक सभा थी।

बैठक को ट्रम्प ने भी संबोधित किया। इस मौके पर फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसांटिस, टेक्सस के सीनेटर टेड क्रूज और पूर्व राज्य सचिव माइक पोम्पिओ व अन्य ने भी अपनी बात कही।

संयुक्त राष्ट्र में देश की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में दो वर्ष की सेवा के बाद पद से इस्तीफा देकर हेली ने पार्टी में अपना आधार बनाने की शुरुआत की।

उन्होंने एक राजनीतिक कार्रवाई समिति स्टैंड फॉर अमेरिका की स्थापना की, जिसने 8 नवंबर के मध्यावधि चुनाव में 60 उम्मीदवारों का समर्थन किया और उसके लिए 10 मिलियन डॉलर खर्च किए।

देश के एक छोटे से ग्रामीण दक्षिणी शहर में पली-बढ़ी हेली ने भारत से अपने परिवार के अमेरिका आने पर गर्व व्यक्त करते हुए हैरिस पर कटाक्ष किया, जिनकी राजनीति में पहली पहचान अफ्रीकी-अमेरिकी है।

हेली ने हैरिस पर अमेरिकियों के बीच आत्म-घृणा को बढ़ावा देने वालों के साथ होने का आरोप लगाया और अपने स्वयं के परिवार के अनुभव का हवाला देते हुए कहा, उनके पास हमें बताने के लिए कठोरता है, अमेरिका नस्लवादी है।

ट्रम्प के मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले हेली दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर थीं, साथी-रिपब्लिकन बॉबी जिंदल के बाद पद संभालने वाली वह भारतीय मूल की दूसरी शख्स थीं।

हेली ने कहा, बहुत से लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या मैं राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल होने जा रही हूं। अब जब मध्यावधि समाप्त हो गई है, तो मैं इस पर गंभीरता से विचार करूंगी। जल्द ही इस संबंध में और कुछ बतांऊगी।

उन्होंने कहा, अगर मैं और मेरा परिवार इस संबंध में कोई फैसला करता है, तो हम इसे हासिल करने के लिए एक हजार प्रतिशत प्रयास करूंगी और इसे पूरा करेंगे।

ट्रम्प द्वारा खत्म किए गए ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए बाइडेन के प्रयास की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, देश के अगले राष्ट्रपति पद ग्रहण के पहले दिन इसे समझौते को समाप्त कर देंगे।

उन्होंने हैरिस ने अभियान के शुरूआती चरणों में बाहर होने से पहले 2020 के राष्ट्रपति पद के लिए हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनना चाहती थीं, लेकिन शुरुआती चरणों में पिछड़ने के बाद आखिरकार बाइडेन ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना।

उनकी किस्मत बाइडेन से जुड़ी है। अब फिर से डेमाक्रेट की तरफ से उनकी उम्मीदवारी इस बात पर निर्भर करेगी कि बाइडेन दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ते हैं या नहीं। सीएनएन के एक सर्वेक्षण से पता चला कि देश के 67 लोग नहीं चाहते कि बाइडेन फिर से चुनाव लड़ें, हालांकि 83 प्रतिशत डेमोक्रेट उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए पसंद करते हैं।

देश के सबसे बुजर्ग राष्ट्रपति 80 वर्षीय बाइडेन सार्वजनिक रूप से कमला हैरिस का नाम राष्ट्रपति पद के लिए लेने या खेरसॉन को यूक्रेन व इराक के साथ फालुजा को मिलाने की बात कहते हुए झिझकते हैं। राष्ट्रपति पद के रूप में दूसरे कार्यकाल को संभालने की उनकी क्षमता के बारे में कई सवाल उठते हैं।

अपनी पार्टी में संदेह करने वालों को आवाज देते हुए डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि डीन फिलिप्स ने कहा, मुझे लगता है कि नई पीढ़ी के सम्मोहक, अच्छी तरह से तैयार और गतिशील डेमोक्रेट देश को आगे बढ़ा सकते हैं। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस का प्रदर्शन औसत दर्जे का रहा है, विशेष रूप से बाइडेन द्वारा सौंपे गए अवैध आप्रवासन को रोकने में विफल होने के कारण।

लेकिन मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेट्स के आश्चर्यजनक रूप से मजबूत प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर बाइडेन का समर्थन बढ़ गया है, जिसे उनके और ट्रम्प पर जनमत संग्रह के रूप में देखा गया था। ऐसे में हैरिस को राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी की ओर से नामांकन में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यदि हेली दौड़ में भाग लेने का फैसला करती हैं तो उनके लिए आगे राह और भी कठिन होगा।

2024 के चुनाव के लिए रिपब्लिकन नामांकन के बारे में किए गए सर्वेक्षण में हेली को केवल 2 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला, जबकि ट्रम्प को 47.3 प्रतिशत और डेसेंटिस को 29 प्रतिशत लोगों ने समर्थन दिया।

हेली अभी केवल 50 साल की हैं और अगर वह 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए नहीं भी खड़ी होती हैं तब भी भविष्य में उनके लिए अवसर खुला रहेगा। वह उप राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी की ओर से नामांकन हासिल कर सकती हैं।

आरजेसी की बैठक में अप्रत्यक्ष रूप से ट्रम्प की आलोचना की, हालांकि बाद में उन्होंने सुधार करने की कोशिश की और कहा, मैं असहमत हूं कि हमारा नुकसान एक व्यक्ति के कारण हुआ। ट्रंप के साथ उनके बेहद कमजोर रिश्ते रहे हैं।

पिछले चुनाव में उन्होंने पार्टी के नामांकन के लिए पहले अपने प्रतिद्वंद्वी फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो का समर्थन किया, लेकिन बाद में वह ट्रम्प से पीछे हो गए और ट्रम्प ने उन्हें कैबिनेट के लिए चुना। ट्रम्प की उनकी आलोचना ने उन्हें पूर्व राष्ट्रपति के विरोध में रिपब्लिकन के लिए एक विकल्प बना दिया है।

उन्होंने रविवार को कहा, हमें ऐसे उम्मीदवारों को चुनना होगा जो न केवल प्राथमिक बल्कि आम चुनाव भी जीत सकते हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं। 6 जनवरी, 2021 को ट्रम्प के समर्थकों द्वारा संसद पर हमले के बाद दूसरे दिन उन्होंने पार्टी की एक बैठक में कहा, कल उनके शब्द सही नहीं थे और यह सिर्फ उनके शब्द नहीं थे। चुनाव के दिन से उसके कार्य को कठोर रूप से आंका जाए।

अपने रविवार के भाषण में हेली ने बार-बार कहा कि हमें अल्पसंख्यकों हिस्पैनिक्स, एशियाई, अफ्रीकी अमेरिकियों और यहूदियों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता भारत से अपनी जेब में 8 डॉलर लेकर आए और यहां सफलता हासिल किए। उनके पिता अजीत सिंह रंधावा प्रोफेसर बने, जबकि उनकी मां राज कौर रंधावा एक सफल व्यवसायी बनीं।

 

आईएएनएस

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