कमलनाथ सरकार का फैसला: मप्र में मीसाबंदी पेंशन योजना अस्थाई तौर पर बंद

कमलनाथ सरकार का फैसला: मप्र में मीसाबंदी पेंशन योजना अस्थाई तौर पर बंद

Manmohan Prajapati
Update: 2019-01-03 05:10 GMT
हाईलाइट
  • मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल
  • वर्तमान सरकार जांच के बाद करेगी योजना शुरु
  • साल 2008 में इस योजना की शुरूआत हुई थी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में अब से मीसाबंदी पेंशन नहीं मिलेगी। दरअसल कमलनाथ सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर प्रदेश के मीसाबंदियो को दी जाने वाली पेंशन को इस महीने से अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है। इतना ही नहीं इस संबंध में बैंकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि सरकार मीसा बंदियों की जांच कराने के बाद इसे फिर से शुरू करेगी। इस जांच में कितना समय लगेगा, फिलहाल यह साफ नहीं हो सका है।

आदेश जारी
बता दें कि मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी के अनुसार योजना बंद संबंध में 28 दिसंबर 2018 को आदेश जारी किए गए हैं। जिसके अनुसार लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक एवं पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है। साथ ही लोकतंत्र सैनिकों का भौतिक सत्यापन कराया जाना भी आवश्यक है। 

कोर्ट में याचिका
कमलनाथ सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद सियासी माहौल गर्मा गया है। सरकार के इस निर्णय पर लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष तपन भौमिक ने पलटवार किया है। तमन भौमिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार दमनकारी नीति अपना रही है। इस मामले को लेकर तपन भौमिक द्वारा कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।  

सरकार कराएगी जांच
यहां बता दें कि मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने साल 2008 में इस योजना की शुरूआत की थी। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए करोड़ों की फिजूलखर्ची की है। सरकार 75 करोड़ रुपए सालाना लुटा रही थी, इसको तुरंत बंद होना चाहिए।फिलहाल योजना बंद कर दी गई है और मीसाबंदियों को मिलने वाली पेशन के संबंध में कमलनाथ सरकार जांच करवाएगी। इस जांच के तहत सरकार ऐसे लोगों को पेंशन की सूची से बाहर करेगी, जो इसके पात्र नहीं है।
 

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