अपनी पर्सनल लोन एप्लीकेशन मंज़ूर होने की संभावना ऐसे बढ़ाएं

अपनी पर्सनल लोन एप्लीकेशन मंज़ूर होने की संभावना ऐसे बढ़ाएं
अपनी विशेषताओं के कारण पर्सनल लोन किसी आर्थिक इमरजेंसी या आर्थिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है। इसे लेने के लिए कोई सिक्योरिटी/ गारंटी देने की ज़रूरत नहीं है, तुरंत ट्रान्सफर हो जाता है और इसके उपयोग पर भी कोई सीमा नहीं है, सट्टे को छोड़कर। क्योंकि पर्सनल लोन में कुछ गिरवी नहीं रखना होता है, तो ये लोन देने में बैंक का जोखिम बढ़ जाता है और वो पर्सनल लोन एप्लीकेशन का मूल्यांकन ज़्यादा सख्ती से करते हैं। आपकी पर्सनल लोन एप्लीकेशन जल्दी और आसानी से मंज़ूर हो जाए इसके लिए नीचे सलाह दी गई है:

अपना क्रेडिट स्कोर बनाएं/ बढ़ाएं

क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जो दर्शाता है कि आवेदक ने अभी तक अपनी लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान पूरा और समय पर किया है या नहीं। इसलिए,बैंक ऐसे लोगों को लोन देना पसंद करते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर ज़्यादा होता है। कई बैंक तो ऐसे लोगों को कम ब्याज दरों पर भी लोन ऑफर करते हैं।

हालाँकि,कभी-कभी कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को भी लोन मिल जाता है, लेकिन ऐसे मामलों में जोखिम की भरपाई के लिए बैंक/ एनबीएफ़सी ज़्यादा ब्याज वसूलते हैं। इसलिए ही, एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाना बहुँत ज़रूरी है। लेकिन अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाने में समय लगता है और पर्सनल लोन की ज़रूरत अचानक हो सकती है।

इसलिए, समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करने की आदत बनाएं और उसमें सुधार व अच्छा बनाएं रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाएं। आप भारत में मौजूद चारों क्रेडिट ब्यूरो से वर्ष में 1 बार मुफ्त में अपनी क्रेडिट रिपोर्ट ले सकते हैं, इस तरह आप हर 4 महीनों में एक बार मुफ्त में रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। हर महीने अपडेट के साथ मुफ्त क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए आप ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केट पोर्टल पर भी जा सकते हैं।

अच्छी वीतीय आदते अपनाएं जैसे समय पर ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करना, अक्सर अपनी पूरी क्रेडिट लिमिट का उपयोग ना करना और उन लोन के भुगतान पर नज़र रखना जिनमें आप गारंटर हैं ताकि आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ सके।

अपनी भुगतान क्षमता का मूल्यांकन करें

आपको कितना लोन मिलेगा और मिलेगा या नहीं ये आपके ईएमआई टू इनकम रेश्यो पर भी निर्भर करता है। मतलब बैंक उन लोगों को लोन देना पसंद करते हैं जो अपनी कुल मासिक इनकम का 60% तक ही ईएमआई भुगतान (मौजूदा ईएमआई और नए लोन की ईएमआई) में खर्च करते हैं। अगर आपका खर्च इससे ज़्यादा हो रहा है तो आपको पर्सनल लोन मिलने की संभावना कम है।

इसलिए लोन की भुगतान अवधि और ईएमआई चुनने से पहले ये देख लें कि आपकी मासिक इनकम में से मौजूदा ईएमआई, ज़रूरी मासिक आवश्यकताएँ, इंश्योरेंस प्रीमियम, आदि पर आपका कितना खर्च हो रहा है। याद रखें कि ईएमआई राशि ज़्यादा होने से ब्याज कम चुकाना पड़ेगा और भुगतान अवधि छोटी रहेगी, वहीं ईएमआई कम होने से ब्याज ज़्यादा चुकाना पड़ेगा और भुगतान अवधि भी लम्बी रहेगी। जब इस बात का मूल्यांकन कर रहें हों कि आप कितनी ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं, तब आपके आर्थिक उद्देश्यों के लिए किये जाने वाले मासिक निवेश योगदान को भी गिन लेना चाहिए।

कम समय में कई बार लोन के लिए अप्लाई ना करें

जब भी बैंक को कोई लोन/ क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन मिलती है तो वो क्रेडिट ब्यूरो से उस आवेदक की क्रेडिट रिपोर्ट मांगते हैं, इसे हार्ड इन्क्वायरी कहा जाता है। हर बार हार्ड-इन्क्वायरी होने पर आवेदक का क्रेडिट स्कोर कुछ पॉइंट कम हो जाता है, साथ ही इसकी जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज की जाती है।

इसलिए, कम समय में कई बार पर्सनल लोन अप्लाई करने से आपका क्रेडिट स्कोर भी गिरेगा और बेहतर ब्याज दरों पर आपको लोन मिलने की संभावना भी कम हो जाएगी।

कई बैंकों में लोन अप्लाई करने के बजाए, आप Paisabazaar.com जैसे ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केट पोर्टल पर जा सकते हैं जहाँ आपके क्रेडिट स्कोर, मासिक इनकम, रोज़गार प्रकार, आदि के आधार पर कई बैंकों/ NBFC के उपलब्ध पर्सनल लोन ऑफर आपको दिए जाएंगें। उनके बीच तुलना करें और अपने लिए सबसे बेहतर चुनें।

हालाँकि, आपके लिए लोन ऑफर देखने के लिए ये फाइनेंशियल मार्केट पोर्टल भी क्रेडिट ब्यूरो से ही आपकी क्रेडिट रिपोर्ट लेते हैं, लेकिन इसे सॉफ्ट- इन्क्वायरी कहा जाता है और इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं होता है।

एप्लीकेशन में को-एप्लिकेंट को जोड़ें

अगर किसी को अपने क्रेडिट स्कोर, अपर्याप्त आय, अपर्याप्त भुगतान क्षमता के कारण लोन लेने में मुश्किल हो रही है, तो वो ऐसे को-एप्लिकेंट (सह-आवेदक) को अपनी लोन एप्लीकेशन में जोड़ सकते हैं जिसकी क्रेडिट प्रोफाइल बेहतर हो। लोन एप्लीकेशन में सह-आवेदक को जोड़ने से बैंक का जोखिम कम हो जाता है, क्योंकि सह-आवेदक भी लोन भुगतान के लिए ज़िम्मेदार होता है।

क्योंकि सह-आवेदक की इनकम को भी लोन के लिए गिना जाता है, सह-आवेदक जोड़ने से आपको ज़्यादा लोन राशि भी मिल सकती है। हालाँकि, याद रखें कि ईएमआई भुगतान में देरी या किसी तरह का डिफ़ॉल्ट होने से उस लोन के को-बोरोवर (सह-उधारकर्ता) के क्रेडिट स्कोर पर भी प्रभाव पड़ेगा।

Created On :   19 May 2023 7:45 AM GMT

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