IWG Workspaces Network: भारत में हाइब्रिड वर्क की क्यों बढ़ रही है मांग? जानिए क्या है इसका भविष्य

डिजिटल डेस्क : पिछले कुछ वर्षों से भारत में ऑफिस में काम करने के तरीके में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इंडिया का को-वर्किंग ऑफिस स्पेस साल दर साल एक बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है। हालांकि लगभग 3 प्रतिशत की अनुमानित बाजार पहुंच के साथ, इस क्षेत्र के लिए अभी भी शुरुआती दिन हैं जहां तेजी से विकास होना बाकी है। जेएलएल की ऑफिस मार्किट रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष सात शहरों में भारत की औसत प्रवेश दर अगले दो वर्षों में लगभग 4.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। भारत में लोगों को फ्लेक्सिबल वर्क का ऑप्शन काफी पसंद आ रहा है और इससे कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हाइब्रिड कल्चर को अपना रहे हैं, क्योंकि इसमें ऑफिस और रिमोट दोनों मोड में काम करने की सुविधा होती है। हाइब्रिड कल्चर के आने से अब दूर रहने वाले लोग भी अच्छी जगह नौकरी कर पा रहे है। बड़ी-बड़ी कॉरपोरेट कंपनी, एमएनसी से लेकर मध्यम आकार के उद्यमों तक, सभी क्षेत्रों में हाइब्रिड वर्क को तेजी से अपनाया जा रहा हैं। इतना ही नहीं, कमर्शियल रियल-एस्टेट मार्किट भी इससे अछूता नहीं है, क्योंकि इंटरप्राइजेज मेट्रो और गैर-मेट्रो दोनों ही जगह पर ऑफिस स्पेस की ज़रूरत को जान रहे हैं।
एक अहम बिज़नेस हब के रूप में, लखनऊ शहर फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस की मजबूत मांग को बढ़ा रहा है। ऐसे व्यक्ति के रूप में जो भारत में फ्लेक्सिबल वर्किंग कल्चर को बढ़ावा देने के लिए सबसे आगे रहे है, वह हैं हर्ष लांबा, कंट्री मैनेजर - इंडिया, वाइस प्रेसिडेंट सेल्स - साउथ एशिया, आईडब्ल्यूजी। इन्होंने लखनऊ के फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस को एक प्रमुख बाजार के रूप में उभरने पर अपने विचार साझा किए हैं, इसके साथ ही मार्किट ट्रेंड्सऔर डेवलेपमेंट्स जैसे कई पहलुओं पर अपनी बात रखी हैं।
प्रश्न 1.आइडब्ल्यूजी क्या है और लखनऊ बाजार/क्षेत्र में खुदको बढ़ाने के लिए रणनीति के बारे में बताएं?
उत्तर: IWG Plc, ऑफिस और को-वर्किंग स्पेस सहित हाइब्रिड वर्किंग सॉल्यूशंस के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रोवाइडर है। दुनिया भर के 120 से अधिक देशों में 3500 स्थानों के साथ वर्तमान में भारत के 16 शहरों में कई प्रमुख कंपनियों और ब्रांड्स को अपनी सेवाएं देते हैं। IWG का मेन फोकस दोनों ब्रांड्स यानी कि छोटे टियर 2 और टियर 3 बाजारों में विस्तारित होना है, साथ ही यह बड़े शहरों में अपनी उपस्थिति को भी मजबूत कर रहा है।लखनऊ के सेंटर के लिए मज़बूत मांग देखने को मिल रही है क्योंकि शहर कॉरपोरेट ऑफिस वर्क और रिमोट वर्क दोनों के कॉम्बिनेशन को अपनाना चाहते है। कर्मचारी और कंपनियां दोनों हाइब्रिड वर्क मॉडल से होने वाले लाभों की सराहना करते हैं - ऑफिस और घर दोनों जगह से काम करने की फ्लेक्सिबिलिटी, आने-जाने में कम टाइम औरज्यादा प्रोडक्टिविटी, बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस जैसे अनेकों लाभ इसे बढ़ावा दे रहे है। लखनऊ में IWG की प्रमुख विस्तार रणनीति पार्टनरशिप मॉडल है। इस मॉडल ने शहर में मौजूदा बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट को आगे बढ़ाकर उनके नेटवर्क को बढ़ाया है।
प्रश्न 2. अपने पार्टनरशिप प्रोग्राम के बारे में बताएं। इस क्षेत्र में यह कैसा चल रहा है?
उत्तर: IWG का पार्टनरशिप प्रोग्राम स्थानीय संपत्ति मालिकों और निवेशकों के साथ साझेदारी करके और उन्हें तेजी से बढ़ते हाइब्रिड वर्कस्पेस मार्किट में प्रवेश करने का अवसर देना है। इस पार्टनरशिप प्रोग्राम को ब्रांड के फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस लोकेशंस में अपने नेटवर्क का विस्तार करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रोग्राम के हिस्से के रूप में, IWG अपने पार्टनर की प्रॉपर्टी से, ब्रांड के नेटवर्क, सिस्टम और सपोर्ट के साथ-साथ प्रशिक्षण और विकास, और ऑनगोइंग ऑपरेशनल सपोर्ट तक पहुंच प्रदान करता है।
पार्टनरशिप प्रोग्राम ने भारत में IWG को मजबूत स्थानीय भागीदारों की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए लागत प्रभावी तरीके से अपने नेटवर्क का विस्तार करने में मदद की है। इससे IWG को नए बाज़ारों में तेजी से प्रवेश करने और क्षेत्रीय ग्राहकों को फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सोलूशन्स प्रदान करने में मदद मिली है।
प्रश्न 3. IWG को हाइब्रिड वर्किंग सेक्टर में किस तरह के मार्किट ट्रेंड्स नज़र आ रहे है?
उत्तर: भारत में हाल के कुछ वर्षों में वर्क फ्रॉम होम में बढ़ोतरी और फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सोलूशन्स की आवश्यकता महसूस होने के कारण हाइब्रिड वर्किंग कल्चर की मांग लगातार बढ़ रही है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक कंपनियां हाइब्रिड वर्किंग मॉडल अपना रही हैं, फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस समाधानों की मांग बढ़ रही है। IWG वर्कप्लेस सोलूशन्स की एक बेहतरीन रेंज प्रदान करके इस ट्रेंड का फायदा उठाने में सक्षम रहा है। हम कोवर्किंग स्पेस, निजी कार्यालयों और मीटिंग रूम सहित हाइब्रिड वॉकर्स की जरूरतों को पूरा करते है।
IWG को भारत में हाइब्रिड वर्किंग सेक्टर में काफी संभावनाएं नज़र आ रही है। इसलिए हम बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और छोटी कंपनियों दोनों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने काम में मार्किट ट्रेंड और डेवलेपमेंट के मुताबिक आगे बढ़ रहे है। परिणामस्वरूप, IWG ने भारत में, विशेष रूप से टियर 1 और 2 शहरों में अपने फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस की पेशकश की मांग में वृद्धि देखी है। भारत के अन्य क्षेत्रीय शहरों की तरह लखनऊ ने भी इस मॉडल को तुरंत अपना लिया है।
प्रश्न 4. अर्थशास्त्रियों ने वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी की है। क्या इसका भारत के को-वर्किंग सेक्टर पर प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर: इस तरह के चुनौतीपूर्ण आर्थिक समय के दौरान फ्लेक्सिबल वर्क फायदेमंद साबित होता है। चूँकि उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती ऊर्जा लागत और बढ़ती ब्याज दरों के कारण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य अंधकारमय हो गया है, ऐसे में ओर्गनइजेशन्स पूर्ण मंदी नहीं तो मंदी की तैयारी कर रहे हैं। IWG द्वारा 250 लीडिंग सीएफओ की एक ग्लोबल स्टडी में ये सामने आया है कि हाइब्रिड वर्क किस तरह कॉस्ट-कटिंग उपाय के रूप में काम कर रहा है। सर्वे में पाया गया कि दस में से नौ का मानना है कि आर्थिक संकट आने वाला है। इस संकट को देखते हुए, लगभग सभी ने कॉस्ट-कटिंग के उपायों को लागू करना शुरू कर दिया है, या फिर लागू करने की योजना बना रहे हैं। दो-तिहाई ने कहा कि वे सुविधा खर्च पर 10% से अधिक की कटौती का लक्ष्य बना रहे हैं, और चार-पांचवें से अधिक (82%) लोग अपने कॉस्ट-कटिंग टारगेट को प्राप्त करने के लिए हाइब्रिड वर्किंग का ऑप्शन चुन रहे हैं।
हाइब्रिड वर्किंग मॉडल पर स्विच करने से संगठन छोटे रियल एस्टेट के नक़्शे कदम को अपनाने में सक्षम होंगे, जिससे सेंट्रल ऑफिस में कम डेस्क की आवश्यकता होगी। कंपनी के खर्च कम हो जाएंगे और वो विकास के लिए अन्य ज़रूरी पहलुओं पर खर्च होगा।
भारत और अन्य जगहों पर वो लोग जो सुविधाओं पर खर्च कम करके अपनी कंपनी को आगे ले जाना चाहते है उनके लिए हाइब्रिड वर्कस्पेस एक बेस्ट ऑप्शन के तौर पर उभर रहा है। आपको शायद हैरानी हो पर हाइब्रिड वर्क से प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष 11,000 अमेरिकी डॉलर तक की बचत का अनुमान लगाया जा रहा है जिसने 2023 में इसकी डिमांड को और बढ़ा दिया है। कर्मचारियों की ओर से जहां वे रहते हैं उसके करीब काम करने की मांग भी बढ़ रही है।
प्रश्न 5. वर्तमान में लखनऊ में इन केंद्रों पर किस क्षेत्रीय मिश्रण का कब्जा है (कॉर्पोरेट/स्टार्ट-अप/एमएनसी/सेक्टर)?
उत्तर: सभी क्षेत्रों के कॉरपोरेट इस हाइब्रिड कार्यप्रणाली को अपना रहे हैं। यह रणनीति कंपनियों को अपने पूंजीगत व्यय को नियंत्रित करने में मदद कर रही है। लखनऊ में, हमारे साथ टेलीकॉम, आईटी, फाइनेंस, हेल्थकेयर, परामर्श और स्टार्ट-अप/एकमात्र स्वामित्व (sole proprietorships) सहित विभिन्न क्षेत्रों के ग्राहक शामिल हैं जो काम करने के लिए सहायक माहौल की तलाश में हैं।
प्रश्न 6. जब हम पाँच दिन से चार दिन काम करने लगे तो काम का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर: ये अभी शुरुआती दिन हैं और सिर्फ कुछ कंपनियों ने ही 4-दिवसीय कार्य सप्ताह को अपनाया है। यहाँ ज्यादा ज़रूरी मुद्दा यह है कि कंपनियां धीरे-धीरे स्क्रीन के सामने बिताए घंटों के बजाय प्रोडक्टिविटी और परफॉरमेंस पर अधिक ध्यान दे रही हैं। Four-day वर्कवीक मॉडल कर्मचारियों का उनके केपीआई पर मूल्यांकन करेगा जो कि बिज़नेस आउटकम से जुड़ा हुआ है, जिससे काम की क्वालिटी और एफिशिएंसी पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। अधिक रचनात्मक, विश्लेषणात्मक और डिजिटल कौशल के मामले में अपस्किलिंग भविष्य में वर्कप्लेस का एक अनिवार्य पहलू होगा, क्योंकि डिजिटल अर्थव्यवस्था पेचीदा मुद्दों से निपटने के लिए नए विचार और क्रिएटिव अप्रोच की मांग करती है।
Created On :   1 Aug 2023 6:16 PM IST