SBI में 5 बैंकों का मर्जर होते ही बने ये नए रिकॉर्ड

5 banks are merged in State Bank of India,bank set 2 new records
SBI में 5 बैंकों का मर्जर होते ही बने ये नए रिकॉर्ड
SBI में 5 बैंकों का मर्जर होते ही बने ये नए रिकॉर्ड
हाईलाइट
  • इस मर्जर के साथ ही अब SBI संपत्ति के हिसाब से दुनिया की टॉप 50 बैंकों में शामिल हो गया है।
  • देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में 5 अन्य बड़े बैंकों के मर्जर को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है।
  • बैंक का अब टोटल कस्टमर बेस 37 करोड़ हो गया है।


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में 5 अन्य बड़े बैंकों के मर्जर को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। इस मर्जर के साथ ही अब SBI संपत्ति के हिसाब से दुनिया की टॉप 50 बैंकों में शामिल हो गया है। बैंक का अब टोटल कस्टमर बेस 37 करोड़ हो गया है। SBI में पांच सहयोगी बैंकों के विलय के बाद सरकार की तरफ से कहा गया कि इससे बैंक का लाभ बढ़ाने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने में मदद मिलेगी।

 

अब SBI में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद पूरी तरीके से शामिल हो जाएंगे। सरकार का तर्क है कि इस विलय से इन बैंकों की लागत में न सिर्फ कमी आएगी, बल्कि संसाधनों के उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा. देश भर में एसबीआई की ब्रांच नेटवर्क 24,000 से ज्यादा हैं। बैंक के एटीएम की संख्या 60 हजार के करीब है।

 

 

sbi के लिए इमेज परिणाम

 

कर्मचारियों की छंटनी से इंकार किया

बैंकों के मर्जर से कर्मचारियों की छंटनी की आशंका पर सरकार ने इससे इंकार किया। वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने स्टेट बैंक विधेयक पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है। आपको बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का पिछले वर्ष अप्रैल में एसबीआई में विलय हुआ था।

 

विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश समेत कुछ सदस्यों ने एसबीआई के निजीकरण की आशंका जताई थी। कई सदस्यों ने बैंकों के नियमन एवं निगरानी प्रणाली को दुरुस्त बनाए जाने की जरूरत बताई। इस पर वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि सहयोगी बैंकों के विलय के बाद कोई छंटनी नहीं की गई है।

 

उन्होंने बताया कि विलय के बाद कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि पांचों सहयोगी बैंकों के विलय का मकसद यही है कि बैंकों की सुविधाएं बेहतर हो सकें। शुक्ल ने कहा कि पहले खाता खुलवाने के लिए दो जमानतदारों की जरूरत होती थी, अब आम आदमी को बैंकिंग सर्विस लेने में कोई परेशानी नहीं आ रही है। एसबीआई मर्ज हुए पांचों बैंकों की कार्यप्रणाली को युक्तिसंगत बनाकर जल्द ही मुनाफे की स्थिति में आ जाएगा।

 

 

पीएम मोदी ने की थी पहल की शुरूआत 

पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की जनधन खाता योजना के तहत 32 करोड़ खाते खोले गए, जिनमें 87 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। उन्होंने इस बात को गलत बताया कि जनधन खाते से गरीबों के पैसे काटे गए। शुक्ल ने बताया कि एसबीआई देश का पांचवां सबसे बड़ा नियोक्ता है, जो वर्तमान में दो लाख 70 हजार लोगों को नौकरी दे रहा है।

 

CPI का  आरोप, विलय से फायदा नहीं

सीपीआई सांसद डी राजा ने कहा कि विलय से पहले बताया गया था कि इससे एसबीआई विश्वस्तरीय बैंक बन जाएगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि एसबीआई का घाटा बढ़ा है, एनपीए लगातार बढ़ रहा है साथ में कई शाखाओं को बंद भी करना पड़ा। राजा ने कहा कि सब्सिडियरी काफी अच्छा कर रहे थे और इस विलय से कोई फायदा नहीं है। 

Created On :   20 July 2018 6:10 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story