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Budget 2020: आइए जानें बजट से जुड़े इन शब्दों का अर्थ?

हाईलाइट
- वित्तवर्ष 2020-21 के लिए आम बजट आज पेश होगा
- सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर हो उसे बैलेंस बजट कहा जाता है
- सरकार द्वारा लिए जाने वाला अतिरिक्त कर्ज को राजकोषीय घाटा कहा जाता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्तवर्ष 2020-21 के लिए आम बजट आज (शनिवार) पेश होगा। इस बार के बजट में लोगों को काफी उम्मीदें हैं। बजट के दौरान कई ऐसे शब्द होते हैं, जिसका मतलब सामान्य लोग नहीं जानते हैं। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे शब्दों का अर्थ बताने जा रहे हैं। जिससे आपको आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण को समझने में आसानी होगी।
विनिवेश:
सरकार अगर किसी पब्लिक सेक्टर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र में बेच देती है, उसे विनिवेश कहा जाता है। सरकार यह हिस्सेदारी शेयरों के जरिए बेची जाती है।
बांड:
केंद्र सरकार पैसों की कमी होने पर मार्केट से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है।
बैलेंस ऑफ पेमेंट:
केंद्र सरकार का राज्य सरकार व अन्य देशों में जो वित्तीय लेनदेन होता है। उसे बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।
बैलेंस बजट:
जब सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर हो उसे बैलेंस बजट कहा जाता है।
कस्टम ड्यूटी:
जब विदेश से भारत में कोई सामान आता है, उस पर लगने वाले टैक्स को कस्टम ड्यूटी कहा जाता है। इसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है।
राजकोषीय घाटा:
सरकार द्वारा लिए जाने वाला अतिरिक्त कर्ज को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
प्रत्यक्ष टैक्स:
प्रत्यक्ष टैक्स वह होता है जो व्यक्तियों और संगठनों की आय पर लगाया जाता है। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स आदि प्रत्यक्ष टैक्स के तहत आते हैं।
वित्त विधेयक:
वित्त विधेयक के माध्यम से वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव रखते हैं। संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाता है। हर वर्ष सरकार बजट पेश करने के दौरान करती है।
शार्ट टर्म कैपिटल असेट:
तीन साल से कम समय के लिए रखे जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहा जाता है।
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अप्रत्यक्ष टैक्स:
ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान लगने वाले कर को अप्रत्यक्ष टैक्स कहा जाता है।
कैपिटल असेट:
जब कोई व्यक्ति किसी चीज में निवेश या खरीदता है, तो खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल असेट कहलाती है।
असेसी:
वह व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता होता है।
वित्त वर्ष:
यह वित्तीय साल होता है जो एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है।