वित्त वर्ष 2021 में 5.3 प्रतिशत तक सिकुड़ेगी जीडीपी : इंडिया रेटिंग्स
नई दिल्ली, 24 जून (आईएएनएस)। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में साल दर साल आधार पर देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.3 प्रतिशत तक सिकुड़ सकता है।
रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को कहा कि देश के इतिहास में यह जीडीपी की सबसे निचली वृद्धि दर होगी और अर्थव्यवस्था में संकुचन का यह छठा अवसर होगा। इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी।
इससे पहले वित्त वर्ष 1979-80 में आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर थी। उस समय देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से 5.2 प्रतिशत नीचे थी।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से उत्पादन की रफ्तार और इसके स्तर पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से आपूर्ति और व्यापार श्रंखला टूट गई। विमानन, होटल और आतिथ्य क्षेत्र में गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गईं। ऐसे में पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान तो अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, साथ ही प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे जाएगी।
हालांकि, एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटेगी और यह पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार प्रभाव और घरेलू एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सामान्य होने की वजह से अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर्ज की जाएगी।
सरकार ने कोरोनावायरस के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए 12 मई, 2020 को 20.97 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 10 प्रतिशत) के बराबर आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। हालांकि, इंडिया रेटिंग्स की गणना के अनुसार इस पैकेज का प्रत्यक्ष राजकोषीय प्रभाव महज 2.145 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) है।
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक पैकेज में ऋण और नकदी प्रबंधन के जो उपाय किए गए हैं और साथ में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व में घोषित उपायों से अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद से पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग पक्ष की समस्या थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रव्यापी बंद और उसके अर्थव्यवस्था व आजीविका पर प्रभाव से उपभोक्ता मांग और भी प्रभावित हुई है।
Created On :   24 Jun 2020 5:00 PM IST