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खादी ब्रांड नाम से पीपीई किट बेच रही फर्में, ब्रांड और लोगो के फर्जी इस्तेमाल पर ग्रामोद्योग आयोग ने भेजा कानूनी नोटिस

हाईलाइट
- खादी इंडिया' ब्रांड और लोगों का अवैध उपयोग करने वाली फर्मों को कानूनी नोटिस भेजा है
- आयोग ने इसके लिए हर्जाना भी मांगा है
- आयोग ने सभी फर्म से हर्जाने के अलावा उसके नाम से बिक्री रोकने के लिए भी कहा
डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने बाजार में पीपीई किट बेचने के लिए 'खादी इंडिया' ब्रांड और लोगों का अवैध उपयोग करने वाली फर्मों को कानूनी नोटिस भेजा है। आयोग ने मंगलवार को बताया कि उसने इसके लिए हर्जाना भी मांगा है।
आयोग ने बताया कि उसने अपने वकील एस. एस. दुबे के माध्यम से दिल्ली की मेसर्स नाचिया कॉरपोरेशन, मेसर्स पेस्ट क्योर इंकॉरपोरेशन और मेसर्स वेद प्रकाश मिथल एंड संस को कानूनी नोटिस भेजा है।
आयोग ने उसके नाम और पंजीकृत ट्रेडमार्क लोगो का गलत तरीके से इस्तेमाल करने के लिए प्रत्येक फर्म से 50 करोड़ रुपये का हर्जाना भी मांगा है। आयोग ने सभी फर्म से हर्जाने के अलावा उसके नाम से बिक्री रोकने के लिए भी कहा।
साथ ही 'खादी इंडिया' ब्रांड नाम वाली बची सभी निजी सुरक्षा किट (पीपीई किट) को तत्काल उसे सौंपने के लिए भी कहा। कानूनी नोटिस के मुताबिक सभी फर्म को नोटिस मिलने के सात दिन के भीतर इस पर अमल करना है। ऐसा नहीं करने पर आयोग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा।
आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस तरह के नियम उल्लंघन को बिलकुल भी बरदाश्त नहीं किया जाएगा। आयोग ने साफ किया कि उसने अभी तक बाजार में अपनी कोई पीपीई किट नहीं उतारी है। उसके द्वारा खादी के कपड़े से बनायी गयी पीपीई किट अभी परीक्षण के दौर में है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।