पौधों के लिए प्रलयंकारी टिड्डी का गहराता प्रकोप

Severe locust outbreaks for plants
पौधों के लिए प्रलयंकारी टिड्डी का गहराता प्रकोप
पौधों के लिए प्रलयंकारी टिड्डी का गहराता प्रकोप

नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। कोरोनावायरस के कहर से उबरने की जद्दोजहद में जुटा भारत के सामने टिड्डी दल के प्रकोप का मुकाबला करने की चुनौती है, क्योंकि हरियाली का यह दुश्मन खरीफ फसलों की बुवाई जोर पकड़ने से पहले देशभर में फैलता जा रहा है। टिड्डी से फसल को नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक टिड्डी दल में कई करोड़ टिड्डियां होती हैं और एक टिड्डी अपन शरीर के वजन के बराबर का भोजन करती है।

सीमवर्ती राज्य राजस्थान के बाद टिड्डियों का दल अब पंजाब और मध्यप्रदेश में प्रवेश कर गया है और देश की राजधानी दिल्ली समेत पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर भी इसका खतरा मडरा रहा है।

पौध संरक्षण विभाग के विशेषज्ञ कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि टिड्डियों के एक झुंड में करोडों टिड्डियां होती हैं और जिस इलाके में टिड्डी दल जाते हैं वहां की हरियाली को पूरी तरह नष्ट कर देती है। ऐसे में खरीफ सीजन की बुवाई शुरू होने से पहले गहराते टिड्डियों के प्रकोप ने कृषि विभाग को हरकत में ला दिया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले फरीदाबाद स्थित वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की ओर से लगातार टिड्डयों के प्रकोप की निगरानी की जा रही है। निदेशालय में पदस्थापित उपनिदेशक के.एल. गुर्जर ने आईएएनएस को बताया कि इस समय राजस्थान से मध्यप्रदेश की तरफ टिड्डी दलों का रूख देखा जा रहा है और इसे काबू करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।

उन्होंने बताया कि इस समय दिल्ली और हरियाणा में टिड्डी दल नहीं पहुंचा है और उत्तर प्रदेश में भी झांसी और मध्यप्रदेश की सीमा से लगते कुछ ही इलाके इसकी चपेट में है।

केंदरीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, राजस्थान के 21 जिले, मध्यप्रदेश के 18 जिले, पंजाब का एक जिला और गुजरात के दो जिलों के अलावा महाराष्ट्र में भी टिडडी का प्रकोप है।

गुर्जर ने बताया कि महाराष्ट्र के अमरवती इलाके और गुजरात के भावनगर व बनासकांठा में टिड्डी दल देखे गए।

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पौधों का यह प्लेग है, जोकि करोड़ों की तादाद में एक झुंड में आता है और कई हेक्टेयर में लगी फसल को नष्ट कर देता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है जैसाकि पिछले साल राजस्थान के सीमवर्ती जिले जैसलमेर, बाड़मेर आदि में देखा गया।

केंदरीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक टिड्डी दिन में उतना खाती है जितना उसके शरीर का वजन होता है और एक झुंड में करोड़ों टिड्डियां होती हैं इसलिए जहां से ये गुजरती हैं वहां हरियाली को चट कर जाती है।

हालांकि इस समय खरीफ की बुवाई जोर नहीं पकड़ी है, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में सिर्फ कॉटन की बुवाई हुई है। हरियाणा के कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बाबूलाल ने बताया कि जो टिड्डी अभी आ रही है वह इमेच्योर है, इसलिए बहुत ज्यादा नुकसान का खतरा नहीं है, लेकिन जब वह हरियाली को चट कर जाती है तो फिर नुकसान तो होगा ही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में टिडडी को लेकर अलर्ट जारी है प्रवेश करने पर नियंत्रण के उपाय किए जाएंगे।

राजस्थान के एक किसान ने बताया कि फसल ही नहीं, पेड़ों के पत्ते को भी यह चट कर जाती है।

Created On :   28 May 2020 3:31 PM IST

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