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Balaghat News: जंगल महकमे के अफसरों की गलती 27 साल बाद पड़ी भारी

- कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश पर बालाघाट के सीसीएफ और डीएफओ ऑफिस किए गए अटैच, लगा ताला
- कार्यालयों में ताला लगने के बाद दोनों कार्यालय अरण्य संवाद केन्द्र से संचालित हुए।
Balaghat News: जंगल महकमे (फॉरेस्ट) के अफसरों की 27 साल पुरानी गलती का खामियाजा शुक्रवार को विभाग पर भारी पड़ी। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश पर रिसीवर एड्वोकेट अनुज सिंह की उपस्थिति में बालाघाट के सीसीएफ तथा डीएफओ (साउथ) कार्यालय शुक्रवार को अटैच कर लिए गए। इसके बाद रिसीवर व अन्य लोगों की मौजूदगी में दोनों कार्यालय सील करने के बाद, ताला लगा दिया गया।
कार्यालयों में ताला लगने के बाद दोनों कार्यालय अरण्य संवाद केन्द्र से संचालित हुए। कोलकाता हाईकोर्ट की वाणिज्यिक पीठ का ताजा फैसला 10 अप्रैल 2024 को पारित डिक्री के अमल के परिप्रेक्ष्य में आया है। 2024 के फैसले में कोर्ट ने कल्पतरु कंपनी को अमानत रकम की वापसी और व्यवसायिक घाटे की क्षतिपूर्ति देने के आदेश मप्र के वन विभाग को दिए थे। सीसीएफ गौरव चौधरी ने कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को हुई कार्यवाही की पुष्टि करते हुए कहा कि, हम अपील में जाएंगे और विभाग अपना पक्ष रखेगा।
1997-98 का है मामला
कोलकाता की कल्पतरु एग्रो फॉरेस्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 1997–98 में वन विभाग से बांस (वनोपज) के लिए मप्र के वन विभाग के साथ व्यावसायिक अनुबंध करते हुए बालाघाट के दक्षिण वन मंडल उत्पादन क्षेत्र में कार्य किया था। कंपनी ने उस समय बैंक गारंटी और अमानत राशि के रूप में वन विभाग में 28,33,356 रुपए जमा कराए थे। सूत्रों के अनुसार कल्पतरू द्वारा जो बांस काटे वह विभाग के ठेकेदार ने नहीं उठाए और वह खराब हो गए।
बाद में यह परियोजना पूरी नहीं हुई। वन विभाग व अनुबंधित फर्म के बीच लंबा पत्राचार चला। इस पर कल्पतरू द्वारा विभाग में अनुबंध के समय जमा कराई गई 28,33,356 रुपए की मूल राशि तथा कंपनी को हुई 19 लाख 99 हजार 950 की व्यापारिक हानि विभाग से मांगी।
जब उसे यह राशि नहीं मिली तो वह कोर्ट में चली गई। कंपनी का अरोप था कि वन विभाग और सहकारी संघ द्वारा बिना कारण उनके पैसे रोके गए और बैंक गारंटियों को जब्त करने का प्रयास किया गया।
इनका कहना है
कल्पतरु एग्रो फॉरेस्ट प्राइवेट लिमिटेड ने बांस खरीदी का 1997–98 में विभाग से व्यावसायिक अनुबंध किया था। उस समय कंपनी के द्वारा बांस का उठाव नहीं किया गया था। इस संबंध में विभाग ने फर्म से पत्राचार भी किया था। बांस नहीं उठाए जाने से खराब हो गया। अब वह खराब हुए बांस के नुकसान के साथ अमानत राशि की वापसी के के लिए कोर्ट चले गए हैं। विभाग भी अपना पक्ष रखेगा, इसमें आगे अपील की जा रही है।
- गौरव चौधरी, सीसीएफ (बालाघाट)
Created On :   12 July 2025 2:13 PM IST