dindori News: डिंडोरी में सरकारी एम्बुलेंस और ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने से 2 बच्चों की मौत

डिंडोरी में सरकारी एम्बुलेंस और ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने से 2 बच्चों की मौत
108 पर कॉल किया वह आई नहीं, निजी वाहन किया तो जिला अस्पताल प्रबंधन ने सिलेंडर नहीं दिया, दोनों बच्चों को हालत गंभीर होने के चलते जबलपुर किया गया था रेफर

भास्कर न्यूज डिंडोरी। जिला अस्पताल में भर्ती 2 महीने तथा 7 साल के बच्चों की सरकारी एम्बुलेंस और ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने से मौत हो जाने का बड़ा मामला सामने आया है। दोनों बच्चों को हालत गंभीर होने पर जबलपुर रेफर किया गया था। बच्चों के परिजन पूरी रात सरकारी सिस्टम से लड़ते रहे और उनके बच्चे जिंदगी की जंग हार गए। जिला अस्पताल प्रबंधन ने बच्चों की मौत में अपनी किसी भी तरह की लापरवाही से इंकार करते हुए सार दोष 108 सेवा पर मढ़ दिया है।

नवजात को निमोनिया हुआ था

रविवार रात लगभग 8.55 बजे निमोनिया से पीडि़त दो माह के नवजात रघुवीर को उसके पिता जितेंद्र कुमार कछवाहा निवासी छांटा पड़रिया जिला अस्पताल लेकर आए थे। चिकित्सकों ने परीक्षण बाद उसे भर्ती किया और बच्चे के पिता व परिजनों को बताया कि हालत सीरियस है, बच्चे को जबलपुर मेडिकल कॉलेज ले जाएं। जितेंद्र ने इसके लिए कागज मांगा तो प्रबंधन ने एम्बुलेंस की व्यवस्था हो जाने पर रेफर लेटर दिए जाने की बात कही। जितेंद्र व परिवार वालों ने 108 पर एम्बुलेंस के लिए कॉल लगाया तो थोड़ी देर में एम्बुलेंस उपलब्ध हो जाने की बात कही गई। जब देर रात तक एम्बुलेंस जिला अस्पताल नहीं पहुंची तब परिजनों ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था कर बच्चे को जबलपुर ले जाने का निर्णय लिया। अपने इस निर्णय से जिला अस्पताल प्रबंधन को अवगत कराते हुए जब परिजनों ने ऑक्सीजन सिलेंडर मांगा तो वह नहीं दिया गया। सुबह तक परिजन सरकारी एम्बुलेंस (108) और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए हाथ-पांव जोड़ते रहे। सोमवार सुबह 7 बजे 2 महीने के रघुवीर ने दम तोड़ दिया। रघुवीर के पिता जितेंद्र तथा परिजनों ने आरोप लगाया है कि 108 कॉल सेंटर की लापरवाही तथा जिला असपताल प्रबंधन की अमानवीयता के चलते उनके बच्चे की मौत हुई है। उन्होंने प्रशासन व सरकार से मामले की जांच कराने व दोषियों को दंडित करने की भी मांग की है।

एम्बुलेंस तो 7 साल के सोमनाथ को भी नहीं मिली

रविवार को ही पिपरिया निवासी अमरूसिया बाई अपने 7 साल के बेटे सोमनाथ बैगा को रविवार दोपहर बाद जिला अस्पताल लेकर आई थी। सोमनाथ को पेट में दर्द की शिकायत थी। इसे भी अस्पताल प्रबंधन ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज ले जाने कहा। अमरूसिया 108 एम्बुलेंस का इंतजार करती रही। उसकी माली हालत भी ऐसी नहीं थी कि प्राइवेट वाहन कर सके। वह भी पूरी रात एम्बुलेंस का इंतजार कर दी और अलसुबह उसके बेटे सोमनाथ ने भी दम तोड़ दिया। अमरूसिया ने भी अपने बेटे की मौत के लिए सरकारी व्यवस्था ािक दोषी ठहराते हुए कहा कि, यदि समय पर एम्बुलेंस मिल जाती तो वह बेटे को लेकर जबलपुर चली जाती और वह बच जाता।

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विशेषज्ञ नहीं, एम्बलेंस क्यों नहीं आई जांच कराएंगे

सिविल सर्जन डॉ. अजय राज ने दोनों बच्चों की मौत के लिए जिला अस्पताल प्रबंधन को दोषी मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। रेफर नहीं करें तो क्या करें? प्राइवेट वाहन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जाने का प्रावधान नहीं है। 108 का कॉल सेंटर भोपाल से कमांड होता है। वहां कॉल करने वर भी एम्बुलेंस क्यों नहीं आई, इसकी जांच कराई जाएगी।

Created On :   9 Jun 2025 11:07 PM IST

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