Dindori news: डिंडोरी के बैगा बहुल तांतर में भी सुलग रही विरोध की चिंगारी, बॉक्साइट खदान की जद में आया 70 फीसद आबादी क्षेत्र,आशंकित आदिवासियों ने रूकवाया सर्वे का काम

- चर्चा में डिंडोरी के बैगा बहुल चाड़ा ग्राम पंचायत का ‘तांतर’ गांव
- गांव में सुलग रही बॉक्साइट की खदान को लेकर विरोध की चिंगारी
- सर्वे के लिए आई प्रशासन की टीम को वापस लौटाया
डिजिटल डेस्क, डिंडोरी। समुद्रतल से करीब 3300 फीट की ऊंचाई पर स्थित बैगा बहुल चाड़ा ग्राम पंचायत का ‘तांतर’ गांव। 1200 की आबादी वाले इस वनग्राम में 150 परिवार संरक्षित जनजाति की श्रेणी में शामिल बैगा के और 120 परिवार धोबा जनजाति के हैं। इन सबमें गांव में आ रही बॉक्साइट की खदान को लेकर विरोध की चिंगारी सुलगने लगी है। विरोध इस स्तर पर कि सर्वे के लिए आई प्रशासन की टीम को करीब 300 फीट नीचे बसे चाड़ा से वापस लौटा दिया। वापस इसलिए लौटाया कि ये अपने इलाके के जल, जंगल और जमीन पर अपना हक मानते हैं और दूसरा यह कि 713 हेक्टेयर के आबादी क्षेत्र वाले तांतर का 70 फीसद (502 हेक्टेयर) हिस्सा बॉक्साइट खदान की जद में जा रहा है। अपने व बच्चों के भविष्य को लेकर आशंकित चाड़ा के सरपंच गोविंद बोरकर गांव वालों की सहमति से ग्राम सभा की बैठक बुलाने जा रहे हैं। इस बैठक में पंचायत के तीनों ग्रामों सिलपिड़ी, चाड़ा तथा तांतर के पेसा एक्ट के तहत निर्वाचित अध्यक्षों को भी बुलाया जा रहा है। ये सब मिल कर यह तय करेंगे कि आगे क्या करना है? दरअसल, तांतर (चाड़ा) से 35 किलोमीटर दूर बसे पिपरिया के आदिवासियों के साथ जो छल होने की बातें सामने आई हैं, उसे लेकर यहां के लोग डरे हुए हैं। इसी डर के चलते ग्रामीणों ने यहां होने वाले सर्वे को रूकवा दिया है।
दो स्तर पर चल रहा सर्वे
यहां दो स्तर पर सर्वे चल रहा है। पहला सर्वे तांतर, सिलपिड़ी व चाड़ा को राजस्व ग्राम में बदलने जिला प्रशासन की टीम कर रही है। यह सर्वे साल भर से जिले के सभी 86 वनग्रामों में चल रहा है। दूसरा सर्वे वन विभाग राज्य शासन से आए निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में बॉक्साइट खदान प्रभावित क्षेत्र तांतर में करा रहा है। इसमें आबादी क्षेत्र, जंगल, खेत व तालाब आदि का सीमांकन होना है। बॉक्साइट तथा एलुमिनस लेटराइट खदान परियोजना क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, वृक्षों की संख्या व प्रकार,जंगल के घनत्व और ईको सिस्टम से जुड़ी रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है।
हम से हमारा हक छीना जाए बर्दाश्त नहीं
(साथ में - प्रदीप तिवारी व पीयूष उपाध्याय - डिंडोरी, डॉ. विजय चौरसिया-गाड़ासरई, लोकेश पटेरिया- बजाग)
शाम के समय तांतर में रहने वाले ग्राम पंचायत चाड़ा के सरपंच गोविंद बोरकर के घर पर जब पहुंचे तो वे गांव व चाड़ा के रहने वाले गोपाल सिंह धुर्वे, राजेश मांडवे, प्रेम सिंह धुर्वे, वीर सिंह, सुखदेव मांडवे तथा दयावती आदि के साथ इसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। इनका कहना रहा कि, सरकार का फैसला है वह ठीक है लेकिन हम से हमारा हक छीना जाए, बर्दाश्त नहीं करेंगे। शासन-प्रशासन को पहले हमारे हित सुरक्षित करने होंगे। पिपरिया माल जैसा यहां नहीं चलेगा। उप सरपंच सुखलाल बैगा चिंता जताते हैं कि वर्षों से वन भूमि पर काबिज हम लोगों की जमीन को खदान में दिया जाएगा तो सब लोग कहाँ जाएंगे? सरपंच गोविंद बोरकर कहते हैं कि, तांतर के आबादी वाले क्षेत्र में बॉक्साइट खदान स्वीकृत करने से पूर्व पंचायत की अनुमति नहीं ली गई है। उन्होंने सरपंच-सचिव वाले व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल पूर्व के सभी सरपंच-सचिवों से पूछा था। पिछली चार पंचवर्षीय वाले सरंपच व पंचों ने तो खदान की अनुमति देने संबंधी किसी भी प्रस्ताव से इंकार कर दिया है। वे कहते हैं कि, नई परिस्थितियों में हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए क्या करना है, इस पर ग्राम सभा में सबके साथ बैठक कर तय करेंगे।
भास्कर संवाददाता कपिल श्रीवास्तव की रिपोर्ट
Created On :   27 May 2025 12:59 AM IST