Jabalpur News: डिंडोरी के पिपरिया में संरक्षित जनजाति बैगा के हितों को लेकर बने हुए हैं टकराव जैसे हालात

डिंडोरी के पिपरिया में संरक्षित जनजाति बैगा के हितों को लेकर बने हुए हैं टकराव जैसे हालात
  • वजह : प्रशासन न जांच और न यह सुनिश्चित करना चाह रहा कि बॉक्साइट खदान की जद में जिन आदिवासियों की जमीनें आई हैं उन्हें पूरा दाम मिले
  • काम मिले और उनका भविष्य सुरक्षित रहे
  • जनप्रतिनिधियों की भी इस मुद्दे पर खामोशी ने विरोध दर्ज कराने वाले बैगाओं को बैकफुट पर ला दिया है।

कपिल श्रीवास्तव| जबलपुर,डेस्क। डिंडोरी जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बसे विशेष पिछड़ी (संरक्षित) जनजाति बैगा बहुल ग्राम पिपरिया माल में अजीब सी खामोशी छाई हुई है। साथ ही पसरा है डरावना सा सन्नाटा। यह वही गांव है जहां चार सप्ताह पहले (11 अप्रैल) पेसा कानून 1996 तथा मप्र पेसा नियम 2022 के तहत आहूत ग्राम सभा में सर्वसम्मति से क्षेत्र में शुरू होने जा रही बॉक्साइट खदान पर असहमति जताते हुए, परियोजना निरस्त करने का प्रस्ताव पास हुआ था। अब इस मुद्दे पर 970 लोगों की आबादी बात करने से कतरा रही है।

खदान का नाम आते ही सब खामोश हो जाते हैं। ज्यादा पूछने पर खुद को घर में बंद कर लेते हैं या साइकिल व बाइक उठा कर गांव से बाहर चले जाते हैं। ग्राम पंचायत की सरपंच सरिता पट्टा पहले घर में बिठाती हैं और जैसे ही बाक्साइट खदान और उसके विरोध को लेकर बात शुरू करते हैं, वे बाहर चली जाती हैं। पूछने पर वे मीटिंग में जाने की बात कहते हुए मोटर साइकिल पर बैठ कर निकल जाती हैं। सरपंच के पति लोकनाथ यादव भी खुद को घर के अंदर बंद कर लेते हैं।

उनकी मॉं सहबिन जो 15-20 मिनट पहले खदान व जमीन की खरीदी-बेची को लेकर बात कर रही थीं, उन्हें नये घर के पीछे बने दूसरे घर में बुला कर दरवाजा बंद कर लिया जाता है। गांव में जो भी मिला बात करने से कतरा गया। इसके पीछे पिपरिया माल की 273 तथा 41 हेक्टेयर की बॉक्साइट खदान का काम हासिल करने वाली कटनी जिले की आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन के लिए यहां के बैगाओं की जमीन की खरीद-फरोख्त कराने वालों का दबाव तथा गांव में काबिज औरा हर काम में दखल रखने वाले एक तिहाई यादवों की नये जमाने की राजनीति, बड़ी वजह है।

गांव से लेकर बजाग, डिंडोरी और कटनी के जमीन के सौदागरों द्वारा कम दाम पर खदान के लिए कंपनी के पक्ष में जमीन की खरीद-फरोख्त तथाकम बता कर ज्यादा जमीन बिकवा देने के बड़े आरोपों के बीच जिला प्रशासन द्वारा इस मामले से खुद को दूर रखे जाने सेे माहौल अंदर ही अंदर गरमा रहा है। जनप्रतिनिधियों की भी इस मुद्दे पर खामोशी ने विरोध दर्ज कराने वाले बैगाओं को बैकफुट पर ला दिया है।

पहले ग्रामसभा की बैठक में और उसके बाद पंचायत भवन के बाहर भी पिपरिया माल के ग्रामीणों ने एकजुटता का परिचय देते हुए ग्राम पंचायत क्षेत्र में आ रही बॉक्साइट खदान को लेकर विरोध दर्ज कराया।

खनिज अधिकारी बोले - प्रशासन का क्या रोल

खनिज महकमे का प्रभार देख रहे डिप्टी कलेक्टर वैधनाथ वासनिक कहते हैं, ‘इस सबमें प्रशासन को कोई रोल नहीं है। बॉक्साइट ब्लॉक केन्द्र ने डिक्लियर किया, उस पर माइनिंग कॉर्पोरेशन ने टेंडर बुलवाए। गांव में खनिज है तो उसका राष्ट्र हित में उपयोग होगा ही। 128 हेक्टेयर जमीन निजी है। यह खदान ठेका कंपनी और जमीन के मालिकों के बीच का मामला है, इसमें प्रशासन कुछ नहीं कर सकता।

प्रशासन केवल यह देखता है कि जिस जमीन का सौदा हुआ है, उसका सरकारी गाइड लाइन के हिसाब से स्टाम्प शुल्क देय हो। अब तक इससे जुड़ी कोई शिकायत नहीं आई है।’ एसडीएम (बजाग) रामबाबू देवांगन भी इसी सच से इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं,‘किसी की भी व्यक्तिगत शिकायत प्रशासन के पास नहीं है। सामूहिक ज्ञापन सहित ग्राम सभा में पारित विरोध प्रस्ताव जरूर हमें मिला है। विरोध की वजहों का परीक्षण करा रहे हैं। एक बार फिर गांव वालों तथा उनके प्रतिनिधियों से बात की जाएगी। नहीं माने तो विरोध प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।’

विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधि असमंजस में

बैगाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि इस मामले को लेकर असमंजस में हैं। डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम कहते हैं कि, वे इस मामले का अभी परीक्षण कर रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते भी अभी यह तय नहीं कर सके हैं कि देश की संरक्षित जनातीय श्रेणी में शामिल बैगाओं के हितों का किस तरह से संरक्षण किया जा सके।

मरकाम व रुदेश कहते है कि, पिछड़े जिलों की श्रेणी में शामिल डिंडोरी के विकास के लिए उद्योगों व बड़ी कंपनियों का आना जरूरी है, लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि यहां के लोगों, उनके हितों, भविष्य तथा यहां के पर्यावरण को नुकसान न हो।

कमोबेश, बैगाओं के संरक्षण व संवर्धन से जुड़े इस बड़े मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन का पिपरिया माल में अब तक दखल नहीं दिखा। लिहाजा, बात ग्राम सभा में पारित विरोध प्रस्ताव से बढ़ते हुए दबाव, धमकी और बैगाओं की रहस्मय खामोशी तक पहुंच गई है। अंदर ही अंदर बढ़ रहा टकराव,भविष्य में यहां बड़े विस्फोट का संकेत दे रहा है।

Created On :   9 May 2025 6:55 PM IST

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