MP News: डिंडोरी के बहेरा ग्राम से जानलेवा वायरस 'जीका' की मप्र में एंट्री, जापानी इंसेफेलाइटिस से 6 साल के बच्चे की मौत

डिंडोरी के बहेरा ग्राम से जानलेवा वायरस जीका की मप्र में एंट्री, जापानी इंसेफेलाइटिस से 6 साल के बच्चे की मौत
  • मध्यप्रदेश में मिला जीका वायरस का पहला केस
  • डिंडोरी के बहेरा ग्राम में वायरस से 6 साल के बालक की मौत
  • डिंडोरी समेत प्रदेश भर में स्वास्थ्य महकमा अलर्ट पर

डिजिटल डेस्क, डिंडोरी। तेज बुखार, दर्द और मस्तिष्क सहित शरीर में सूजन लाने वाले जानलेवा ‘जीका’ की मध्यप्रदेश में एंट्री हो गई है। सबसे पहले 1947 में युगांडा के जीका में पाए गए खतरनाक जापानी इंसेफेलाइटिस की प्रदेश में न सिर्फ एंट्री हुई है बल्कि इसने डिंडोरी जिले के बहेरा ग्राम के रहने वाले एक 6 साल के बच्चे की जान भी ले ली है। तीन दिन पहले जबलपुर मेडिकल कॉलेज में जापानी इंसेफेलाइटिस से हुई पहली मौत के बीच यह खबर भी आपको चौंका सकती है कि जिस डिंडोरी जिले में ‘जीका’ पाया गया है वहां मलेरिया अधिकारी ही नहीं है।

इधर डिंडोरी में ‘जीका’ से हुई पहली मौत के बाद प्रदेश भर में स्वास्थ्य महकमा अलर्ट पर आ गया है। आईसीएमआर की रिपोर्ट में अमरपुर ब्लाक के बहेरा ग्राम के 6 वर्षीय बालक अजय गौतम की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस से होने की पुष्टि होते ही मलेरिया विभाग की टीम ने गांव में डेरा डाल दिया है। अमरपुर बीएमओ एस.एस. मरकाम सहित टीम के सदस्यों ने मृत बालक के परिजनों से मिल कर बच्चे की बीमारी आदि की जानकारी ली और गांव में फैली गंदगी व हालात का जायजा लिया। बर्तनों सहित अन्य स्थानों पर जमा पानी की भी जांच की।

खेलते-खेलते गिर पड़ा था बालक

अपने बेटे अजय की मौत से सदमे में आए बहेरा के रहने वाले संतोष गौतम व मां सुनैना के अनुसार, पिछले महीने की 21-22 तारीख को अजय और उसकी ११ वर्षीय बहन मधु गांव के तालाब के पास खेल रहे थे। खेलते-खेलते अजय गिर पड़ा। उसके बाद से उसके बाएं पैर में सूजन आ गई थी। घर वालों ने अपने स्तर से सिकाई कर राहत पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन हालत बिगडऩे लगी और बुखार भी आ गया। 31 जुलाई को तेज बुखार के चलते अजय के परिजनों ने डिंडोरी में निजी डॉक्टरों को दिखाया। पांच-सात दिन बाद भी पैर की सूजन कम नहीं हुई उल्टे सूजन वाले स्थान पर पैर काला पडऩे लगा और पस भी बनने लगा तो अजय के पिता ने 2 अगस्त को जिला अस्पताल के डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बालक की गंभीर स्थिति देखते हुए जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जहां उपचार के दौरान अजय की मौत हो गई। अजय के पिता संतोष के अनुसार जबलपुर स्थित आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च)की लैब में हुईं जांच की रिपोर्ट में उनके बेटे के जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से पीडि़त होने की बात सामने आई है।

बड़ी बहन की भी बिगड़ी तबियत

बालक की मौत के बाद उसकी बड़ी बहन मधु गौतम को भी बुखार आने लगा है। मधु को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मलेरिया टीम के अधिकारियों के अनुसार मधु को दो दिन से लगातार बुखार आ रहा है। चिकित्सकों के अनुसार यह सामान्य बुखार लग रहा है क्योंकि सूजन संबंधी कोई लक्षण नहीं है।

आईसीएमआरएस की रिपोर्ट में बालक की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस से होना पाई गई है। मैं इस समयें मलेरिया कार्य के चलते भोपाल आई हुई हूं। अमरपुर बीएमओ के साथ मलेरिया विभाग की टीम गांव गई थी। परिजनों से मिल कर बच्चे को हुई बीमारी से जुड़ी जानकारी ली है, साथ ही आसपास की गंदगी व हालात का जायजा लिया है। पूरे गांव में दवा छिडक़ाव का कार्य किया जाएगा।

- डॉ. जयश्री मरावी, प्रभारी मलेरिया अधिकारी (डिंडोरी)

यह हैं बीमारी के लक्षण

जापानी इंसेफेलाइटिस एक तरह का वायरल है। यह वायरस मच्छरों, विशेष रूप से क्यूलेक्स मच्छर, द्वारा मनुष्यों में फैलता है, जो संक्रमित सूअरों और पक्षियों का रक्त चूसते हैं। चिकित्सकों के अनुसार अधिकांश मामलों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या हल्के लक्षण के रूप में बुखार और सिरदर्द होता है। कुछ मामलों में, यह बीमारी मस्तिष्क में सूजन इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकती है, जिससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे कि प्रभावित को दौरे पडऩा, कोमा में चले जाना या फिर उसकी मृत्यु हो जाना। चिकित्सकों के अनुसार, जापानी इंसेफेलाइटिस से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण करवाना है। जापानी इंसेफेलाइटिस के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए सहायक उपचार दिया जा सकता है।

कैसे पूरा होगा प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2027 में देश से मलेरिया का उन्मूलन करने का संकल्प लिया है। उनका यह संकल्प प्रदेश के आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले में कैसे पूरा होगा जबकि यहां पूर्णकालिक मलेरिया अधिकारी ही नहीं है। करीब 3 महीने से रिक्त पड़े मलेरिया अधिकारी पद का प्रभार सीएमएचओ ने डॉ. जयश्री मरावी को सौँप रखा है। रही सीएमएचओ डॉ. रमेश मरावी की बात तो उन्हें जिले में ‘जीका’ से हुई बालक की मौत की जानकारी ही नहीं थी।

Created On :   12 Aug 2025 12:35 AM IST

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