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Gondia News: पहले कोरोना ने छीना माता-पिता का साया, प्रशासन ने रोका पेट भरने का सहारा

Gondia News दो छोटी आदिवासी बहनों की कहानी । पहले इनके माता-पिता को कोरोना ने छीना , अब प्रशासन की जटिल प्रक्रिया ने उन्हें जकड़ लिया। बेसहारा होने से अब यह दोनों अनाथ बहनों को जिंदगी जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। लेकिन न तो शासन उन्हें आधार देने के लिए कोई कदम उठा रहा है ना ही कोई प्रशासन का अधिकारी उनकी सुध लेने उन तक पहुंच रहा है। यह दिल दहला देने वाली सच्चाई, गोरेगांव तहसील के खाड़ीपार में रहने वाली 8 वर्षीय आरती और 10 वर्षीय वैष्णवी की है।
2020 में जब कोरोना की लहर शुरू हुई, उस महामारी में अनेकों की जान चली गई और अनेक बच्चे अनाथ हो गए। इसी तरह की एक घटना गोरेगांव तहसील के खाडीपार में घटित हुई थी। आदिवासी परिवार के सुरजलाल मरस्कोल्हे व सीमा सुरजलाल मरस्कोल्हे की कोरोना काल में मृत्यु हो गई, जिससे आरती व वैष्णवी अनाथ हो गईं। उस समय आरती की उम्र 3 वर्ष व वैष्णवी की उम्र 5 वर्ष थी। उसके बाद उनका पालन पोषण 85 वर्षीय दादी सागनबाई शिवराम मरस्कोल्हे कर रही थीं, लेकिन उनकी भी मृत्यु 2024 में हो गई, जिससे फिर से दोनों बहनें बेसहारा हो गईं।
कोरोना में मां-बाप छिन जाने की खबर जब जिला प्रशासन को लगी तो तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश खवले व आदिवासी विकास प्रकल्प अधिकारी राचेलवार ने दोनों अनाथ बहनों को आर्थिक मदद देकर उनकी जिंदगी सवारने का प्रयास किया था, लेकिन दोनों अधिकारियों का तबादला होने से शिक्षक शैलेष नंदेश्वर , सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर मदद कर उन्हें आगे बढ़ाया।
शासन द्वारा दोनों अनाथ बहनों को निराधार योजना के तहत अनुदान की राशि उनके बैंक खातों में जमा की जा रही थी, लेकिन प्रशासन की जटिल प्रक्रिया में इन अनाथ बहनों की योजना फंस गई। और पिछले 6 माह से अनुदान की राशि मिलना बंद हो गई। वजह बताई जा रही है कि दोनों बहनाओं के आधार की मैपिंग नहीं हो रही है। कई बार बैंकों में जाकर मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। जिस वजह से अब उन्हंे कोई भी रिश्तेदार अपने पास रखना पसंद नहीं कर रहे हैं।
Created On :   2 Nov 2025 5:53 PM IST















