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Nagpur News: सात समुद्र दूर के देश में भी भारत का भय, इसलिए लगा रहे टैरिफ

- आरएसएस के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने अमेरिका को दिया करारा जवाब
- ब्रम्हकुमारीज संस्था के कार्यक्रम में पहली बार हुए सहभागी
- भारत को कुछ बनने की जरुरत नहीं, पहले से ही शक्तिशाली है
Nagpur News अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा है-भारत के बढ़ते प्रभाव से दुनिया में लोगों को इस सोच के साथ डर लगने लगा है कि भारत बड़ा होगा तो हमारा क्या होगा। जो टैरिफ लगाया जा रहा है वह भी भारत के बढ़ते प्रभाव का ही परिणाम है।
शक्तिशाली देश भी स्वयं को बड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए अन्य देश को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। शुक्रवार को विश्वशांति सरोवर जामठा में ब्रम्हकुमारीज संस्था का 7 वां स्थापना दिन मनाया गया। डॉ.भागवत इसी कार्यक्रम में बोल रहे थे। ब्रम्हकुमारीज संस्था की राजयोगी बीके संतोष दीदी प्रमुखता से उपस्थित थे। दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ट्रंप ने भारत का निर्यात टैरिफ बढ़ा दिया है। जुलाई व अगस्त में दो बार टैरिफ बढ़ाने से भारत का निर्यात खर्च 50 प्रतिशत बढ़ गया है।
ट्रंप की टैरिफ नीति पर विविध स्तर पर चर्चा चल रही है। सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा- हमें चाहिए, मुझे चाहिए का व्यक्तिगत भाव व झगड़ा कई बार राष्ट्र के झगड़े का कारण बनता है। मुझे चाहिए का भाव मन में आते रहता है लेकिन दुनिया को देने का भाव भूला दिया जाता है। भारत की अलग पहचान है। यहां के लिए मैं के बजाय हम के भाव के साथ काम करते हैं। हम दुनिया को परिवार मानते हैं। दुनिया की समस्याओं का समाधान चाहिए तो भारत ही सही रास्ता दिखा सकता है। संत तुकाराम के ज्ञान का जिक्र करते हुए सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति का शरीर अलग है। मैं का भाव रहना स्वाभाविक है। लेकिन जब तक मैँ कौन हूं इस बारे में पहचान नहीं होगी तब तक समस्या दूर नहीं होगी। सभी अपना अस्तित्व निर्माण का प्रयास करते हैं। यह गलत भी नहीं है। मैं सरसेघचालक हूं इसलिए मेरा महत्व है। मेरे भाषण को शांति से सुना जाता है। दुनिया में जिसका महत्व रहता है उसे सुना जाता है। भारत अब शक्तिशाली हो गया है। उसे कुछ और बनने की जरुरत नहीं है। 142 करोड आबादी का देश है। धर्म, पंथ , संप्रदाय अलग हो सकते हैं। लेकिन सभी राष्ट्र के लिए काम करते हैं।
Created On :   12 Sept 2025 4:32 PM IST