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Nagpur News: इंटरनेट युग में पुस्तक प्रेम जगाने के लिए एक अभिनव पहल, बच्चों ने की किताबों से दोस्ती

- शिक्षिका के प्रयासों से छात्रों में जागी पुस्तक पढ़ने की ललक
- पुरस्कार स्वरूप एक नई किताब भेंट
Nagpur News कोविड काल के बाद से बच्चों की पढ़ाई में रुचि लगातार कम होती जा रही थी। किताबों से दूर, मोबाइल और टीवी की दुनिया में खोए बच्चे मुश्किल से दो घंटे भी एक जगह बैठकर पढ़ाई नहीं कर पाते थे। ऐसे समय में नागपुर की साखले गुरुजी स्कूल की प्राध्यापिका प्रतिभा लोखंडे ने बच्चों में पढ़ने की आदत और पुस्तक प्रेम जगाने के लिए एक अभिनव पहल शुरू की। उन्होंने स्कूल में ‘वाचन लाइब्रेरी’ की नींव रखी, जिसने आज बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया है। आज स्कूल के छात्र इंटरनेट की दुनिया से दूर किताबें पढ़ने में ज्यादा रुचि रखने लगे हैं।
परिचय दो, नई किताब लो : प्रतिभा लोखंडे ने बच्चों को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रखकर, विविध विषयों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस लाइब्रेरी की खास बात यह है कि जो विद्यार्थी पूरी किताब पढ़कर उसका परिचय कक्षा में प्रस्तुत करता है, उसे पुरस्कार स्वरूप एक नई किताब भेंट की जाती है। इस छोटे से प्रोत्साहन ने बच्चों को किताबों से जोड़ने में कमाल का असर दिखाया।
100 दिन, 100 किताब : लाइब्रेरी के अंतर्गत ‘100 दिन-100 किताब’ नामक उपक्रम चलाया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने प्रतिदिन नई किताबें पढ़कर परिचय प्रस्तुत किया। इस उपक्रम के लिए शिक्षिका और बच्चों का सत्कार भी किया गया। शुरुआत में केवल कक्षा 6वीं से 8वीं तक के विद्यार्थियों को जोड़ा गया था। आज कक्षा तीसरी से लेकर 8वीं तक के विद्यार्थी उत्साहपूर्वक इसमें भाग ले रहे हैं। बच्चे स्वयं शिक्षिकाओं से नई किताबें लाने का आग्रह करते हैं।
देशभर से मिलीं पुस्तकें : शिक्षिका प्रतिभा लोखंडे ने ‘वाचन साखली’ नामक फेसबुक ग्रुप भी शुरू किया है। यहां उन्होंने अपने उपक्रम की पोस्ट साझा की। इसकी चर्चा देशभर के साहित्यकारों और पाठकों तक पहुंची। परिणाम यह हुआ कि कई वरिष्ठ और प्रसिद्ध लेखकों ने स्कूल के बच्चों को पुस्तकें भेंट करने की पहल की। डाक के माध्यम से स्कूल तक 300 से अधिक किताबें पहुंचीं।
साहित्यकारों का स्नेह : इस पहल की गूंज साहित्य जगत तक भी पहुंची। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता एकनाथ आव्हाड, बाल साहित्यकार राजीव तांबे, दीपाली जोशी, नागेश शेवालकर और अरुण देशपांडे जैसे नामचीन लेखकों ने इस स्कूल के बच्चों को किताबें पुरस्कार स्वरूप भेंट कीं।
जन्मदिन पर भेंट की जाती हैं किताबें : शिक्षा के क्षेत्र में मेरे अनुभव का फायदा मेरे स्कूल के बच्चों को हो, इसलिए हमने लगन से इस लाइब्ररी को सफल बनाया। आज हमारे बच्चे भी हमारे जन्मदिन पर या फिर अपने सहपाठियों, दोस्तों के जन्मदिन पर किताबें भेंट करते हैं। यह मेरे लिए अभिमान की बात हैं। -प्रतिभा लोखंडे, प्राध्यापिका
अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणास्रोत : मैं हमेशा ही प्राध्यापिका प्रतिभा लोखंडे द्वारा चलाए जा रहे उपक्रम का सहयोग करता हूं। वे हमेशा नए-नए उपक्रम द्वारा बच्चों की पढ़ाई में रुचि बनाए रखती हैं। इस उपक्रम के बारे में कहना चाहूंगा कि आज जब बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की लत में खो रहे हैं, उस समय पढ़ने की ललक जगाना आसान नहीं। लेकिन प्रतिभा मैडम ने यह कर दिखाया है। यह अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणास्रोत है। -आनंद ठाकरे, मुख्याध्यापक
Created On :   12 Sept 2025 1:07 PM IST