Nagpur News: ध्यान से आत्मकल्याण, स्वास्थ्य की सर्वोच्च अवस्था, आईआईएम में विश्व ध्यान दिवस पर कार्यक्रम

ध्यान से आत्मकल्याण, स्वास्थ्य की सर्वोच्च अवस्था, आईआईएम में विश्व ध्यान दिवस पर कार्यक्रम
  • सबसे छोटा दिन, दुनिया को सबसे बड़ा संदेश
  • ध्यान से आत्मकल्याण, स्वास्थ्य की सर्वोच्च अवस्था

Nagpur News. भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) नागपुर में रविवार सुबह विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर परिसर में पूरा माहौल ऊर्जा, उत्साह और आध्यात्मिक था। आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में वक्ताओं ने शारीरिक स्वास्थ्य से आगे बढ़कर आत्मिक कल्याण को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बताया। कार्यक्रम के लिए केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव तथा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने शुभकामना संदेश भेजे। जिन्हें मंच से पढ़कर सुनाया गया। मुख्य वक्ता के रूप में हिमालयन समर्पण ध्यानयोग आंदोलन के संस्थापक शिवकृपानंद स्वामी उपस्थित थे। उन्होंने ध्यान के वास्तविक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग शरीर को स्वस्थ और मन को स्थिर करता है। जबकि ध्यान आत्मा का कल्याण करता है, जो कि सर्वोच्च स्वास्थ्य की अवस्था है।

सबसे छोटा दिन, दुनिया को सबसे बड़ा संदेश

शिवकृपानंद स्वामी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के माध्यम से भारत ने योग को वैश्विक पहचान दिलाई है। अब समय आ गया है कि देश दुनिया को अगली अवस्था ध्यान और समाधि की ओर मार्गदर्शन करे। इस अवसर पर आईआईएम नागपुर के निदेशक डॉ. भीमराया मेत्री ने कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 21 दिसंबर वर्ष का सबसे छोटा दिन होता है, लेकिन आज हम दुनिया को सबसे बड़ा संदेश दे रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। प्रमुख उपस्थितों में आईआईएम नागपुर के निदेशक प्रो. मेत्री, उद्यमी राहुल करंगाले, नागपुर परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक संदीप पाटिल, उद्यमी शशिकांत चौधरी व कामठी कैंटोनमेंट बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर अभिजीत वालिंबे शामिल थे। गुरुतत्त्व एवं समर्पण ध्यान आंदोलन की ओर से शीना ओमप्रकाश, आशिष थलावर और लीलाधर ठमके ने सहभागिता निभाई। कार्यक्रम में अनेक गणमान्य नागरिक, विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां, आईआईएम नागपुर के प्राध्यापक एवं कर्मचारी, साथ ही सैकड़ों विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पूरा परिसर ध्यान, शांति और आत्मचिंतन के वातावरण से परिपूर्ण हो चुका था।

Created On :   21 Dec 2025 5:51 PM IST

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