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महाधिवक्ता या जिम्मेदार अधिकारी हाजिर होकर बताएँ क्यों नहीं पेश होती केस डायरी

हाईकोर्ट ने आदेश के बाद भी केस डायरी पेश नहीं किए जाने पर दिखाई सख्ती
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस जेपी गुप्ता की एकल पीठ ने आदेश के बाद भी केस डायरी पेश नहीं किए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। एकल पीठ ने आदेशित किया है कि महाधिवक्ता या जिम्मेदार अधिकारी 24 फरवरी को कोर्ट में हाजिर होकर बताएँ कि आदेश के बाद भी केस डायरी क्यों नहीं पेश की जा रही है। एकल पीठ ने पैनल लॉयर को निर्देश दिया है कि भोपाल के एक आपराधिक मामले में तीन दिन के भीतर केस डायरी पेश करना सुनिश्चित करें।
ये है मामला-दुष्कर्म और एससी-एसटी के मामले में भोपाल निवासी राहुल मारन की ओर से क्रिमिनल अपील दायर की गई है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 8 जनवरी, 19 जनवरी और 27 जनवरी को मामले की केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया था। बार-बार आदेश दिए जाने के बाद भी केस डायरी नहीं पेश की गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंकित सक्सेना ने कहा कि तीन बार समय दिए जाने के बाद भी केस डायरी पेश नहीं की गई।
केस डायरी पेश करना महाधिवक्ता कार्यालय की जिम्मेदारी
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एकल पीठ ने कहा कि केस डायरी पेश करना महाधिवक्ता कार्यालय की जिम्मेदारी है। महाधिवक्ता या जिम्मेदार अधिकारी कोर्ट में हाजिर होकर बताएँ कि क्यों नहीं केस डायरी पेश की जा रही है। एकल पीठ ने पैनल लॉयर कमलेश द्विवेदी को निर्देश दिया है कि तीन दिन के भीतर संबंधित मामले की केस डायरी पेश करना सुनिश्चित करें।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।