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केले की खेती से बना लखपति, धान से तो गुजारा भी नहीं हो रहा था

डिजिटल डेस्क बालाघाट । जिले के किसान परंपरागत रूप से धान की खेती करते है। धान की खेती में अन्य फसलों की तुलना में लागत अधिक आती है और मुनाफा कम ही होता है। कुल मिलाकर धान की खेती में ले देकर हिसाब बराबर ही रहता है और कभी-कभी तो आमदनी अठन्नी, खर्चा रुप्पया वाली स्थिति हो जाती है। लेकिन किसान देवन्द्र नगपुरे ने धान की खेती को छोड़ कर नगदी फसल केले की खेती को अपना लिया है। एक साल में ही देवेन्द्र ने केले की फसल से भरपूर आय अर्जित कर धान की खेती करने वाले किसानों को नई राह दिखाई है।
बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर गोंदिया रोड पर मुख्य सड़क से लगा ग्राम पेंडरई स्थित है। देवेन्द्र नगपुरे इसी पेंडरई गांव में केले की खेती करता है। देवेन्द्र नगपुरे ने कृषि संकाय में 12 वीं तक की पढ़ाई की है और पुस्तकों से मिले ज्ञान का उपयोग अब अपनी केले की खेती में कर रहा है। देवेन्द्र को उद्यान विभाग के अधिकारी श्री एस हरिनखेड़े का मार्गदर्शन मिल रहा है। श्री हरिनखेड़े की सलाह पर देवेन्द्र ने उद्यान विभाग की योजना के अंतर्गत अनुदान पर ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाई है।
42 वर्ष आयु के देवेन्द्र नगपुरे ने बताया कि उसके परिवार के पास 10 एकड़ खेती है। उसके पिता 10 एकड़ की पूरी खेती में धान की फसल लगाते थे। लेकिन उन्होंने अब धान का रकबा कम कर केले की खेती को अपना लिया है। पहली बार उसने वर्ष 2016 में रायपुर से केले की जी-9 किस्म के पौधे लाकर 02 एकड़ खेत में केले की फसल लगाया था। 09 से 10 माह में ही डेढ़ लाख रुपये की आय हो गई। कम रकबे की फसल से हुई आय ने देवेन्द्र को केले की खेती में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया और वर्ष 2017 में उसने केले की खेती का रकबा बढ़ाकर साढ़े तीन एकड़ कर लिया है। देवेन्द्र के खेतों में लगी केले की फसल में फल आने लगे है और इस वर्ष उसे कम से कम 5 से 6 लाख रुपये की आय होने का अनुमान है।
देवेन्द्र ने बताया कि आने वाले वर्ष में वह केले का रकबा बढ़ाकर 6 एकड़ तक करने की तैयारी कर रहा है। अब तक वह रायपुर से केले के पौधे ला रहा था। लेकिन अब वह महाराष्ट्र के जलगांव से केले के पौधे लगायेगा। धान फसल की तुलना में केले की खेती में कम समय में अधिक मुनाफा मिलता है। वर्ष 2017 में अपने खेत में पत्तागोभी एवं मक्का की फसल भी लगाया था। इससे ही उसे डेढ़ लाख रुपये की आमदनी हो गई थी। इस वर्ष उसे 10 क्विंटल अरहर की फसल भी हुई है।
देवेन्द्र नगपुरे ने भले ही 12 वीं तक पढ़ाई की है, लेकिन उनमें कुछ नया करने एवं सीखने की भूख है। खेती की नई तकनीक एवं नये तरीकों को सीखने वह इंडोनेशिया, थाईलैंड, सउदी अरब, उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद व अन्य देशों का भ्रमण कर चुका है। देवेन्द्र ने बताया कि वह हर वर्ष अपने दोस्तों के ग्रुप में कृषि के नये तरीके सीखने विदेश भ्रमण पर जाता है।
देवेन्द्र ने बालाघाट से लगे ग्राम कोसमी में फसलों के बीज, खाद, कीटनाशक दवा व अन्य कृषि आदान सामग्री की दुकान भी खोल रखी है और किसानों को समय-समय पर सलाह भी देते रहता है। प्रगतिशील किसान देवेन्द्र खेती से अपने परिवार के लिए आय अर्जित करने के साथ ही गांव के 05 अन्य लोगों को रोजगार भी दे रहा है।
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Created On :   23 Feb 2018 2:39 PM IST