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ब्लैक फंगस - मेडिकल में गुरुवार को 7 मरीजों की छुट्टी रोजाना 4 से 5 सर्जरी भी हो रहीं, अब 130 से ज्यादा मरीज
ऑपरेशन के पहले नहीं, बाद में अहम है इंजेक्शन का रोल
डिजिटल डेस्क जबलपुर । म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में इजाफे के बीच, पहली बार मेडिकल कॉलेज में 7 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। इन मरीजों को एंडोस्कोपी एवं अन्य जाँच करने के बाद छुट्टी दी गई, हाँलाकि घर जाने के बाद भी इनका फॉलोअप ट्रीटमेंट जारी रहेगा। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस यदि रोगी के साइनस से होते हुए आँख के पास तक पहुँच गया है, तो ऑपरेशन कर साइनस से इंफेक्शन हटाने के साथ ही जरूरी इंजेक्शन देना पड़ता है। इससे रोगी की आँख बच सकती है। ब्लैक फंगस अगर शुरूआत में ही डिटेक्ट कर लिया जाए तो कई मामलों में ऑपरेशन की नौबत नहीं आती। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड मरीजों को ब्लैक फंगस न हो इसलिए स्टेरॉयड की मात्रा पर ध्यान देना
जरूरी है, ताकि शुगर कंट्रोल में रहे। जबलपुर में ब्लैक फंगस के अब तक 130 मरीज सामने आ चुके हैं, इनमें 80 मरीज मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए हैं।
शरीर के वजन के मुताबिक देते हैं इंजेक्शन
मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस से अधिकृत रूप से 3 मौतें हुई हैं, वहीं 1 मौत सस्पेक्टेड केस में है। वहीं भर्ती मरीजों में 2 से 3 मामले बेहद गंभीर हैं। वहीं ऑपरेशन के बाद भी कई मरीज भर्ती हैं, ताकि उन्हें इंजेक्शन लगाया जा सके। ब्लैक फंगस के मरीजों को इंजेक्शन उनकी शरीर के वजन के मुताबिक दिए जाते हैं। आमतौर पर एक मरीज को 60 से 100 इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं।
रोजाना 4 से 5 सर्जरी
प्रोटोकॉल के मुताबिक अगर बीमारी हल्की सी भी दिख रही है, तो उसको ऑपरेट किया जाता है। लेकिन बढ़ते मरीजों के बीच चिकित्सकों की प्राथमिकता ऐसे मरीजों पर पहले होती है, जो बेहद गंभीर हैं और उन्हें तुरंत ऑपरेशन की जरूरत होती है। मेडिकल में रोजाना 4-5 ऑपरेशन हो रहे हैं। एक सर्जरी में 1 से 2 घंटे का वक्त लगता है।
Created On :   21 May 2021 2:37 PM IST