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शव को चादर में उठाकर ले जाने का मामला - पांच स्टाफ नर्स की एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश

डिजिटल डेस्क बालाघाट । जिला चिकित्सालय बालाघाट में पिछले दिनों एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों को स्टेचर के अभाव में शव को चादर में उठाकर मर्चुरी तक ले जाना पड़ा था कलेक्टर ने इस मामले में पांच नर्सों को दोषी मानते हुए उनकी एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया है ।
इस संबंध में बताया गया है कि मेडिकल वार्ड में भर्ती मरीज गायखुरी के 30 वर्षीय प्रकाश राउत की 26 मई 2020 को मृत्यु हो गई थी। शव को मर्चुरी में ले जाने के लिए उसके परिजनों को स्टेचर नहीं मिला जिससे वे शव को चादर में उठाकर ले गए थे।कलेक्टर दीपक आर्य ने इस घटना को गंभीरता से लिया और प्रकरण की जांच के निर्देश दिये थे। इस घटना की जांच के बाद जिला चिकित्सालय बालाघाट की स्टाफ नर्स श्रीमती कल्पना चित्रीव, श्रीमती ललिता बिसेन, श्रीमती रीता निकुरे, श्रीमती माधुरी बेदरे, श्रीमती मंजु चौधरी को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इन पांचो स्टाफ नर्स ने अपने जवाब में कहा है कि मृतक के शव को चादर में उठाकर ले जाते समय मेडिकल वार्ड में स्टेचर नहीं था और वार्ड बाय भी नहीं था। चिकित्सालय में स्टेचर एवं वार्ड बाय की तलाश की जा रही थी कि मृतक के परिजन शव को चादर में लपेट कर उठाकर ले गये।
कलेक्टर श्री आर्य ने पांचों स्टाफ नर्स के जवाब को संतोषजनक नहीं माना है। ऐसी स्थिति में ड्यूटी में तैनात स्टाफ नर्स को तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना था और स्टेचर की व्यवसथा कर वार्ड बाय को बुलाने की कार्यवाही करना था, लेकिन स्टाफ नर्स द्वारा अपने कत्त्र्वयों के प्रति घोर लापरवाही बरती गई है, जो अक्षम्य है। अत: उनके इस कृत्य के लिए सभी पांचो स्टाफ नर्स की एक-एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के आदेश दिये गये है। इसके साथ ही चेतावनी दी गई है कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।