मौतों के बाद आया होश...बसों में ताक पर मिली सुरक्षा -आरटीओ ने की 56 बसों की जाँच, 16 पर कार्रवाई 

मौतों के बाद आया होश...बसों में ताक पर मिली सुरक्षा -आरटीओ ने की 56 बसों की जाँच, 16 पर कार्रवाई 
मौतों के बाद आया होश...बसों में ताक पर मिली सुरक्षा -आरटीओ ने की 56 बसों की जाँच, 16 पर कार्रवाई 

* इमरजेंसी विंडो में बना दी सीट तो कहीं रखा मिला वर्जित सामान ; पाईं खामियाँ लगाया जुर्माना
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
सीधी बस दुर्घटना में आधा सैकड़ा से अधिक मौतों के बाद अब पूरे प्रदेश के साथ जबलपुर में भी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय हरकत में आया है। बसों में यात्री सुविधाओं, सुरक्षा और  नियमों के पालन समेत अन्य  विसंगतियों की जाँच की जा रही है। इसी कड़ी में गुरुवार को दीनदयाल बस टर्मिनस, तिलवारा रोड पर 56 बसों की जाँच की गई, जिसमें 16 बसों में कई तरह की कमियाँ सामने आईं। कई बसों में इमरजेंसी विंडो को सीट बना दिया, तो किसी में इसी विंडो के सामने ही सामान रखा पाया गया। बिना परमिट, क्षमता से अधिक सवारी, प्रदूषण प्रमाण पत्र के बगैर संचालन, कंडक्टर का लाइसेंस न होना आदि अनेक कमियाँ सामने आईं। कार्रवाई में बसों के संचालकों पर 35 हजार रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया। 
इधर लोगों का कहना था कि जब कोई हादसा होता है, तब विभाग की फौज सक्रिय हो जाती है। सामान्य दिनों में इस तरह की कार्रवाई देखने को नहीं मिलती। जबलपुर में यात्री बसों की हालत देखकर यही लगता है कि यहाँ पर सब कुछ नियमों को ताक पर रखकर संचालन हो रहा है। वहीं आरटीओ संतोष पॉल ने कहा कि पूर्व में भी  लगातार विभाग जाँच करता रहा है। नियमों का पालन कर संचालन हो यही हमारी प्राथमिकता है। 
एक नजर इस पर भी
* कुल बसों में 12त्न हो चुकीं एकदम खटारा। 
* इमरजेंसी में कहीं सीट, तो कहीं सामान लदा।
*  फायर सिस्टम, सुरक्षा उपाय बसों में नदारद। 
*  परमिट नहीं, तो भी उसी रूट में संचालन।
*  कंडम, फिट नहीं तो भी फिट और रनिंग। 
* बसों में यात्री क्षमता से अधिक भरे जा रहे। 
ठूँस-ठूँस कर भर रहे यात्री 
शहर से 30 से 100 किलोमीटर के दायरे में जो बसें संचालित का रहीं हैं, उनमें क्षमता से अधिक यात्री भरे जाते हैं। जैसे किसी यात्री को 20 किलोमीटर बाद अपने गंतव्य में उतरना है, तो उसको बिना सीट के ही बैठा लिया जाएगा। इसी के साथ और यात्री धीरे-धीरे बस में बैठा लिए जाएँगे। हालात यहाँ तक निर्मित होते हैं कि 32 सीटर बस है, तो 70 लोगों को यात्रा कराई जाती है। अमानवीय हालात मौके पर नजर आते हैं। लोगों का कहना है कि  ऐसी बस जब सड़क पर दौड़ती है, तो दूर से महसूस हो जाता है कि हादसा कभी भी हो सकता है पर विभाग को यह नजर नहीं आता है। 
घाटा पूरा करने जान से खिलवाड़ 
बसों के संचालन में होने वाले घाटे को पूरा करने नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाता है। यात्रियों को क्षमता से अधिक बैठाकर जानवरों जैसा ढोया जाता है। अपनी कमाई के चक्कर में रास्तों पर अमानवीय दृश्य सामने आते हैं। घाटे को पूरा करने के लिए लोगों को कहा जाए, तो सीधे मौत के मुँह में ढकेल दिया जाता है। नियम तोडऩे में इसमें सहयोग के रूप में वे अधिकारी होते हैं, जिन्हें मोटर व्हीकल एक्ट का पालन कराने का जिम्मा सौंपा गया है। 
 

Created On :   19 Feb 2021 3:34 PM IST

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