दन्तेवाड़ा : बैलाडिला लौह अयस्क खदान डिपोजिट 13 में हुये अवैध कटाई को लेकर हाईकोर्ट ने लिया निर्णय
डिजिटल डेस्क, दन्तेवाड़ा।, 09 अगस्त 2020 बैलाडिला लौह अयस्क खदान क्षेत्र के डिपोजिट 13 में हुई अवैध के मामले में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में आरोपी श्री व्ही.एस.प्रभाकर, तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एन.सी.एल.कम्पनी किरन्दुल के विरूद्ध वन विभाग द्वारा दर्ज वन अपराध प्रकरणों को निरस्त किये जाने हेतु दायर रिट पिटीशन क्रमांक 275/2020 एवं 277/2020 पर अपने महत्वपूर्ण निर्णय देते हुये खारिज कर दिया गया। विदित हो कि विगत् वर्ष बैलाडिला लौह अयस्क परियोजना किरन्दुल के डिपोजिट क्रमांक 13 में गणना किये गये वृक्षों में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री व्ही.एस.प्रभाकर के द्वारा अपने स्वेच्छा से निविदा आमंत्रित कर ठेकेदार को उपरोक्त स्थल में वृक्षों की कटाई करने का कार्यादेश जारी किया गया था। ठेकेदार द्वारा उक्त क्षेत्र में अनियमित तरीके से वृहद पैमाने में वृक्षों की कटाई कर शासन एवं लोक संपत्ति को भारी नुकसान पहॅुचाया गया था। जिस संबंध में वन विभाग के द्वारा वन अपराध प्रकरण कायम कर वन अधिनियम, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, जैव विविधता संरक्षण अधिनियम एवं लोक संपत्ति को नुकसानी के निवारण अधिनियमों के तहत् आवश्यक कार्यवाही की गई थी। दर्ज वन अपराध प्रकरण के विवेचना में यह बात स्पष्ट हुआ कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री व्ही. एस. प्रभाकर के द्वारा सक्षम अधिकारी के अनुमति के बगैर अपने स्वेच्छा से प्रश्नाधीन स्थल के वृक्षों को बेतरतीब तरीके से कटाई कर शासन को राजस्व की हानि पहॅुचाना प्रमाणित पाये जाने पर प्रकरण माननीय व्यवहार न्यायालय बचेली में आरोपी को रिमाण्ड पर लेने हेतु दिनांक 12/03/2020 को प्रस्तुत किया गया था। माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को 50-50 हजार के जमानत एवं निजी मुचलके के शर्त पर जमानत स्वीकृत किया गया। यह कि आरोपी माह में 15 दिवस में एक बार अन्वेषण अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने तथा साक्षियों एवं साक्ष्य को प्रभावित एवं प्रलोभित नहीं करेगा, किसी अपराधिक कृत्य में संलिप्त नहीं रहेंगा। उक्त अभियोजित अपराध की पुनरावृत्ति किये जाने पर यह जमानत आदेश स्वमेव निरस्त माना जायेगा। आरोपी श्री व्ही.एस.प्रभाकर के द्वारा माननीय न्यायालय के उपरोक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर उनके विरूद्ध जारी वन अपराध प्रकरणों को समाप्त करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में वाद प्रस्तुत किया गया था। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुये शासन द्वारा प्रस्तुत पक्ष को विचार-विमर्श कर आरोपी द्वारा प्रस्तुत वाद को निरस्त कर दिया गया। इससे माननीय न्यायालय के निर्णल से यह सिद्ध हो गया कि किसी भी शासकीय कार्य को संविधान के अनुरूप नियमानुसार किया जाना ही श्रेयस्कर है। माननीय न्यायालय द्वारा दिया गया ऐतिहासिक निर्णय वन विभाग की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
Created On :   11 Aug 2020 12:28 PM IST