डिंडोरी के बैगा, अनूपपुर के गुदुम बाजा और धार के भगोरिया नृत्य ने मोहा मन

Dindoris Baiga, Anuppurs Gudum Baja and Dhars Bhagoria dance captivated the mind.
डिंडोरी के बैगा, अनूपपुर के गुदुम बाजा और धार के भगोरिया नृत्य ने मोहा मन
तीन दिवसीय आदि रंग उत्सव शुरू, देर रात तक हुईं लोक संस्कृति और परंपराओं पर आधारित प्रस्तुतियां डिंडोरी के बैगा, अनूपपुर के गुदुम बाजा और धार के भगोरिया नृत्य ने मोहा मन

डिजिटल डेस्क बालाघाट। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार और जनजाति अनुसंधान संस्थान, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार देर रात सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला आदिरंग उत्सव की भव्य शुरुआत हुई। रंग-बिरंगी रोशनी और लोक परंपराओं से सजे इस उत्सव का शुभारंभ मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष व विधायक गौरीशंकर बिसेन ने किया। उत्सव के पहले दिन डिंडोरी के कलाकारों ने बैगा नृत्य, अनुपपुर के कलाकारों ने गुदुम बाजा नृत्य और धार द्वारा भगोरिया नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। पंडवानी का प्रदर्शन भी देखने लायक था। इस मौके पर कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक कुमार, अपर कलेक्टर शिवगोविंद मरकाम, जनजातीय अनुसंधान संस्थान के संयुक्त संचालक नीतिराज सिंह, सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग सुधांशु वर्मा, शिखर सम्मान से सम्मानित झाबुआ जिले की कलाकार लाडो बाई अन्य विभागों के अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
आदि बिंब प्रदर्शनी में लोक संस्कृति
मुख्य अतिथि श्री बिसेन ने फीता काटकर यहां लगी आदि बिंब प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। प्रदर्शनी के जरिए विभिन्न जिलों में निवास करने वाली विभिन्न जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक, पारंपरिक, जीवन शैली एवं रीति-रिवाज को प्रदर्शित किया गया है। उत्सव में आदिवासी जनजाति के व्यंजनों को भी प्रदर्शित किया गया है। 25 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले इस उत्सव में बालाघाट सहित बड़वानी, धार, झाबुआ, बैतूल, छिंदवाड़ा, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर और शहडोल जिले के जनजातीय कलाकारों द्वारा पारंपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
ये युवाओं को जागरूक करने का अच्छा माध्यम
श्री बिसेन ने कहा कि जिले के लिए यह एक खुशी, सम्मान व सौभाग्य का अवसर है। युवा पीढ़ी को आदिवासी संस्कृति एवं परंपराओं से परिचित कराने के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम है। सही मायनों में देखा जाए तो हमारे आदिवासी भाई ही प्रकृति को संजोकर रखे हुए हैं और वे हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। आदिवासी भाइयों के रीति-रिवाज और रहन-सहन युवा पीढ़ी हो प्रकृति के साथ जीवनयापन करना सिखाती है।
उत्सव में बिका एक क्विंटल चिन्नौर चावल
चिन्नौर चावल को जीआई टैग मिलने के बाद उसके प्रचार-प्रसार के लिए उत्सव में चावल की प्रदर्शनी एवं विक्रय के लिए एक स्टॉल लगाया गया है। शनिवार को स्टॉल से करीब एक क्विंटल चिन्नौर चावल कुछ मिनटों में ही बिक गया। आदि रंग उत्सव में आदिवासी व्यंजनों की भी प्रदर्शनी लगी है। यहां डिंडोरी के समूह द्वारा कोदो एवं कुटकी का चावल, कोदो एवं कुटकी के कुकीज, महुआ के कुकीज जो सभी शुगर फ्री हैं। यहां बड़वानी जिले के आदिवासी व्यंजन में मक्के की रोटी और उसके साथ परोसी जाने वाली मिर्च वाली खट्टी सब्जी लोगों को लुभा रही है। छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट की रसोई का स्टॉल भी लगा है।

Created On :   24 Oct 2021 2:12 PM GMT

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