किसान तकलीफ में, उनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा: कुलपति डॉ. पीके बिसेन

farmers are in trouble, Will have to pay attention to their problems
किसान तकलीफ में, उनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा: कुलपति डॉ. पीके बिसेन
किसान तकलीफ में, उनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा: कुलपति डॉ. पीके बिसेन

डिजिटल डेस्क बालाघाट जबलपुर । 45 साल कम नहीं होते, इतने सालों से मैं संस्कारधानी का बेटा बनकर रह रहा हूं और मां नर्मदा के पावन जल से सिंचित इस भूमि ने मुझे भरपूर प्यार दिया है। जिस विश्वविद्यालय में मैने अध्ययन िकया उसी के सर्वोच्च पद पर आसीन होना अपने-आपमें चमत्कारिक है। मुझे छात्रों और किसानों दोनों की ही समस्याओं का अनुभव है, इसलिए मुझे लगता है कि मैं कुलपति पद के साथ न्याय कर पाऊंगा और निश्चित ही दोनों वर्गों की मदद भी कर सकूंगा।  किसान तकलीफ में तो हैं। हमें उनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा और उनकी बेहतरी के लिए कार्य करने होंगे।
 उपरोक्त विचार जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति डॉ. पीके बिसेन ने भास्कर से विशेष चर्चा में व्यक्त किए। बुधवार शाम राजभवन से जारी आदेश में कहा गया कि जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि अधिनियम 1963 की धारा 15 की उपधारा 1 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए "मैं ओम प्रकाश कोहली कुलाधिपति जेएनकेविवि डॉ. पीके बिसेन संचालक विस्तार सेवाएं को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की कालावधि के लिए जेएनकेविवि का कुलपति नियुक्त करता हूं। इस आदेश के आने के बाद ये बात भी पुख्ता हो गई कि लम्बे समय से कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार भी बाहर से कोई कुलपति न आ जाए। भले ही डॉ. बिसेन बालाघाट के हों, पर संस्कारधानी में 45 वर्षों से निवास कर रहे हैं और उनका पूरा शैक्षणिक कार्यकाल जेएनकेविवि में ही बीता।
100 से अधिक आवेदन गए थे
 बताया जाता है क जेएनकेविवि का कुलपति बनने के लए 100 से अधिक आवेदन पहुंचे थे और जेएनकेविवि के ही 3 दर्जन से अधिक प्राध्यापकों ने कुलपति बनने के लए आवेदनया था। इन सभी को पीछे छोड़ते हुए श्री बिसेन नए कुलपति बन गए और उनके कुलपति बनने की खबर के बाद से ही विवि में बधाइयों का दौर चल पड़ा।
किसान तकलीफ में हैं
विद्यार्थी परिषद के बाद  आरएसएस से जुड़े डॉ. बिसेन को लम्बा प्रशासनिक अनुभव है। वे बालाघाट के लेंडेझरी गांव में जन्मे पर जेएनकेविवि में प्रथम वर्ष से अब तक यहीं के होकर रह गए। आपने सभी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण की हैं। आप 15 सालों तक हॉस्टल वार्डन रहे, 10 सालों तक एनएसएस से जुड़े रहे, 10 सालों तक छात्र कल्याण अधिष्ठाता रहे और विस्तार सेवाओं से जुड़कर किसानों की समस्याओं से भी अवगत हो गए। आपने साफ कहा कि किसान तकलीफ में तो हैं। हमें उनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा और उनकी बेहतरी के लिए कार्य करने होंगे।

 

Created On :   26 Oct 2017 1:12 PM IST

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