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सेवा निवृत्त सी.एम.ओ. को 4 साल की सजा, बाजार ठेकेदार से घर पर ली थी 10 हजार की रिश्वत
डिजिटल डेस्क बालाघाट । नगर परिषद लांजी में पदस्थ रहे सी.एम.ओ. ए. उस्मानी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विशेष न्यायधीश लोकायुक्त मान. दीपक कुमार अग्रवाल के न्यायालय ने 4 साल के सश्रम करावास की सजा सुनाई है। यह सजा 8 जनवरी 2013 को ठेकेदार कमलेश महोबिया से लांजी नगर परिषद सीएमओ रहते हुए अपने निवास पर 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस द्वारा धरे जाने के मामले में दर्ज प्रकरण की सुनवाई करते हुए सुनाई गई है। इस मामले में लोकायुक्त विशेष न्यायाधीश एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक कुमार अग्रवाल की अदालत ने 4 वर्ष के सश्रम कारावास और 30 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित करने का फैसला दिया है।
जिसके बाद ए. उस्मानी को पुलिस कस्टडी में जेल भिजवा दिया गया है। गौर तलब है कि मामले में लोक अभियोजक के.एल. वर्मा ने पैरवी की थी।लांजी में इस मामले में पकड़े जाने के बाद आरोपी नपा सी.एम.ओ. उस्मानी को पहले निलंबित और फिर बालाघाट में राजस्व निरिक्षक के रूप में पदस्थ किया गया था। जहां वे 2017 में सेवा निवृत्त हो गये थे। जिसके बाद उन्हे सेवा निवृत्ती के बाद इस मामले मेंं सजा मिली है।
कार्यवाही नहीं करने ठेकेदार से मांगी थी 20 हजार की रिश्वत
लांजी नगर परिषद में सीएमओ रहते हुए ए. उस्मानी ने 23 दिसंबर 2012 को कुछ व्यापारियों से मिलकर बाजार में ठेकेदार द्वारा अधिक राशि वसूली जाने के मामले में पंचनामा बनाया था। बाद में इसी मवेशी एवं बैठकी बाजार के ठेकेदार कमलेश महोबिया से अधिक राशि वसूली मामले में बनाये गये पंचनामा को फाडऩे और मामले में कार्यवाही नहीं करने के ऐवज में 20 हजार रूपये की रिश्वत की मांग की थी। जिसकी शिकायत ठेकेदार कमलेश महोबिया द्वारा लोकायुक्त जबलपुर को की गई थी।
न्यायालय ने माना गंभीर प्रकृति का अपराध
इस मामले में माननीय न्यायालय के न्यायाधीश ने दिये गये अपने फैसले में इसे गंभीर अपराध कहा है। फैसले में माननीय न्यायाधीश ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले में नरम रूख अपनाया जाना कहीं से भी न्यायोचित नहीं होगा। वर्तमान परिवेश में भ्रष्टाचार सार्वजनिक क्षेत्र में कैंसर का रूप ले चुका है। वर्तमान समय में भारत के विकास में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा अवरोधक है। जिसके बाद माननीय न्यायालय ने तत्कालीन सीएमओ ए. उस्मानी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 का दोषी पाते हुए धारा 7 में तीन वर्ष का कठोर कारावास और 5 हजार रूपये अर्थदंड एवं धारा 13 के अपराध में चार वर्ष का कठोर कारावास एवं 25 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित करने का फैसला दिया है।
Created On :   8 May 2018 7:11 PM IST