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कोविड कॉल सेंटर खुद वेंटिलेटर पर , पूरी टीम में एक भी हेल्थ एक्सपर्ट नहीं
बिना ट्रेनिंग के लगी ड्यूटी, संक्रमितों के सवालों का जवाब नहीं दे पाते मास्साब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कागजों में सब कुछ कंट्रोल में दिखाने के लिए एक और कॉल सेंटर गांधी लाइब्रेरी में खोल दिया गया, लेकिन तैयारियों के बगैर..। हैरानी वाली बात है कि संक्रमितों के सेहत का जायजा लेने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है और पूरी टीम में किसी एक हेल्थ एक्सपर्ट को तक शामिल नहीं किया गया है। नतीजतन, होम आइसोलेशन के मरीजों की ओर से जब सवाल और संशय जाहिर होते हैं तो एकाध का जवाब दे पाना भी इनके लिए आसान नहीं होता। सेंटर में सुरक्षा की बात छोडि़ए, शौचालय, पानी और बिजली तक के इंतजाम नहीं हैं। कोरोना कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में कागज दुरुस्त करने वाली टीम के पास वर्कलोड इतना ज्यादा बढ़ गया कि एक और हेल्प सेंटर खोलना पड़ा। गांधी लाइब्रेरी में हाल ही में शुरू किए गए कॉल सेंटर में दो दर्जन शिक्षकों की तैनाती कर दी गई। अब रोज इन शिक्षकों को एक लिस्ट थमा दी जाती है। इसके अलावा इन्हें एक्सल शीट, पीडीएफ में ऐसे डाटा भी जुटाने होते हैं जिससे कि सब कुछ कंट्रोल में साबित हो सके। एक और मजेदार बातज् रात 10 बजे के बाद यह सेंटर बंद हो जाता है।
गांधी लाइब्रेरी में सिर्फ औपचारिकता: वर्कलोड के साथ ड्यूटी के घंटे भी ज्यादा, बिजली, पानी और शौचालय तक की सुविधा नहीं
यहाँ तो बदइंतजामी का संक्रमण..!
बाहर बिजली नहीं 6 सेंटर के बाहर शाम ढलने के बाद घुप अँधेरा हो जाता है। लाइब्रेरी के भीतर भी पूरी फिटिंग उखड़ी हुई है। प्रकाश की व्यवस्था बेहद सीमित है।
न सेनिटाइजर न साबुन - सेंटर के बाहर शौचालय नाम मात्र का है जिसमें पानी की व्यवस्था तक नहीं। इसके अलावा यहाँ सेनिटाइजर दूर की बात है। यहाँ साबुन तक नहीं है।
तत्वों का डेरा
सेंटर में महिला शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन यहाँ शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।
लंबी ड्यूटी, न चाय न पानी
सामान्य तौर पर 6 की बजाय यहाँ 8 घंटे की शिफ्ट तय की गई है। दूसरी तरफ चाय-पानी तक के इंतजाम नहीं हैं।
Created On :   30 April 2021 3:20 PM IST