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राज्यस्तरीय अधिवेशन में देश को आत्मचिंतन करने का पाठ !
डिजिटल डेस्क, कारंजा (लाड़). देश को स्वतंत्रत हुए 75 वर्ष बीत चुके है लेकिन देश के 30 करोड़ घुमतू-विमुक्त जाति-जनजाति का वनवास अब भी नहीं थमा, ऐसा खेद के साथ कहना पड़ता है । विदर्भ घुमतू-विमुक्त जाति-जनजाति संघर्ष समिति की ओरसे स्थानीय कृषि उपज मंडी समिति के किसान निवास सभागृह में रविवार को दिल्ली से आए अखील भारतीय घुमंतू-अर्ध-घुमंतू जनजाति वेलफेअर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्रकुमार सिंह की अध्यक्षता व संगठन के महासचिव बालकराम सांशी हरियाना, संगठन की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष डा. राणुजी छारी दिल्ली की प्रमुख उपस्थित, चित्रकथी समाज तथा विदर्भ घुमंतू जनजाति संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजसाहेब अवताडे के नेतृत्व व अखिल भारतीय गोपाल समाज क्रांतिकारी विकास परिषद तथा घुमंतू-विमुक्त जाति-जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रा. दयावान गव्हाणे व समाज क्रांति आघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज शेंडे के प्रमुख मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम भारी उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम में गोपाल समाज के प्रतिनिधि के रुप में राष्ट्रपति पुलिस पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त उत्तमराव नवघरे, डा. रामकृष्ण कालापाड समेत घुमंतू-विमुक्त विविध जनजाति के अध्यक्ष, कार्याध्यक्ष, पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी तादाद में उपस्थित थे ।
अधिवेशन को मार्गदर्शन करते हुए प्रा. दयावान गव्हाणे ने कहा कि देश को दोन मर्तबा स्वतंत्रता मिली । 15 अगस्त 1947 को ब्रिटीश की गुलामी से हम मुक्त हुए, यह पहली स्वतंत्रता तथा देश की 30 करोड़ विमुक्त-घुमंतूओं को 5 वर्ष 16 दिन यानी 31 अगस्त 1952 को आंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण देश के 52 सेटलमेंट से मुक्त किया । यह सही मायनों मंे सभी की स्वतंत्रता का दिन होने का प्रतिपादन उन्होंने व्यक्त किया । अतिथियों ने अपने सम्बाेधन में कार्यक्रम की सराहना की तो कार्यक्रम के सर्वेसर्वा राजसाहब अवताडे ने प्रास्ताविक में इस प्रवर्ग के लिए अब तक किए गए कार्यों क जायज़ा लिया । कार्यक्रम का आयोजन चित्रकथी समाज संघर्ष समिति कारंजा (लाड) ने किया जिसमें राजुभाऊ अवताडे, वसंतराव लेहारकर, विठ्ठलराव लाड, गुलाबराव लाड, जानराव अवताडे, भगवान जाधव, प्रदिप वनारसे, गजानन वनारसे, गजानन कदम, साहबराव काकड, केशव एकनार, सरपंच सचिन एकनार, विठ्ठल अवताडे, गोपाल काकड, गजानन एकनार, जगदीश भोजने, रामेश्वर लसनकुटे, गणेश काकडे, सोपान कदम, देविदास सुपलकर, कांचन वनारसे, शंकरराव एकनार, किसन अवताडे, भास्कर भावनगरे, विश्वनाथ महाजन, ज्ञानदेव कदम, सुभाष भावनगरे, सुनील जाधव, सुभाषराव महाजन, पुरुषोत्तम भावनगरे, धनराज जाधव, विलास कान्हेरे, सौ. गंगा आंबटपुरे, अन्नपुर्णा वनारसे, समाधान काकड, हर्षल वनारसे, उत्तम आंबटपूरे, कुलदिप अवताडे, तुलशीराम कान्हेरे, गजानन लसनकुटे, विठ्ठलराव एकनार, गजानन काकडे, गजानन हिरामन लसनकुटे, डा. ज्ञानेश्वर गरड, मिलींद भांडे, विजय भोजने, गजानन सुपलकार, राजु एकनार, संजय महाजन, सुधिर लाड, किशोर जाधव, संजय लसनकुटे, उमेश लसनकुटे, डा. ज्ञानेश्वर भोयर आदि ने परिश्रम कर कार्यक्रम को सफल बनाया ।
Created On :   2 Nov 2022 5:23 PM IST