पत्र सूचना कार्यालय और क्षेत्रीय संपर्क कार्यालय ने कोविड-19 के समय में मानसिक स्वास्थ्य पर वेबिनार आयोजित किया
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्रालय पत्र सूचना कार्यालय और क्षेत्रीय संपर्क कार्यालय ने कोविड-19 के समय में मानसिक स्वास्थ्य पर वेबिनार आयोजित किया सहानुभूति कोविड-19 के समय में अपने लिए, परिवार और समग्र रूप से समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है : सविता गोस्वामी, क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक, टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई सामुदायिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों से लड़ने के लिए हर किसी को ज्यादा से ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है: प्रोफेसर आशा बानो सोलेटी, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान मानसिक स्वास्थ्य के मामलों से लड़ने के लिए विशेषज्ञों की सलाह- दोस्तों और परिवार से बात करें, जरूरत हो तो पेशेवर मदद लें, शौक पूरा करें और वह गतिविधियां करें, जो आपको पसंद हों Posted On: 23 JUL 2020 1:59PM by PIB Delhi लॉकडाउन या घर पर रहने की पाबंदियों के चलते सामान्य जीवन तो प्रभावित हुआ ही, इससे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर पड़ा है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रोफेसर आशा बानो सोलेटी ने कहा, "यह हर किसी के बारे में है।" प्रोफेसर ने बताया कि बच्चों और छात्रों, वयस्कों और बुजुर्गों, महिलाओं, एलजीबीटीक्यूआई समुदाय, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और जरूरी सेवा प्रदाताओं, आर्थिक रूप से कमजोर समूहों, शोक संतप्त परिवारों और निश्चित रूप से दिव्यांगों और जिनका पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं- कोविड-19 ने इनमें से कई के दिमाग पर असर डाला है। 23 जुलाई, 2020 को वह पणजी स्थित गोवा कॉलेज ऑफ होम साइंसेज (जीआईएचएस) के सहयोग से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और क्षेत्रीय संपर्क कार्यालय (आरओबी) कार्यालयों (महाराष्ट्र और गोवा में) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "कोविड-19 के समय में मानसिक स्वास्थ्य" विषय पर वेबिनार को संबोधित कर रही थीं। विशेषज्ञों के पैनल में सुश्री सविता गोस्वामी, क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक और साइको-ऑन्कोलॉजिस्ट, टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई भी शामिल थीं जिन्होंने लोगों के विभिन्न समूहों द्वारा अनुभव की जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य दशाओं के प्रकारों के बारे में बताया और इससे निपटने की सलाह भी दी। इसके अलावा, जीआईएचएस में मानव विकास की सहायक प्रोफेसर लारिसा रोड्रिग्स ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मौजूदा महामारी के दौरान समुदाय खासतौर से छात्र, मानसिक स्वास्थ्य से कैसे निपट रहे हैं। प्रो. सोलेटी ने कहा कि कोविड-19 के चलते एक "तूफान" सा आ गया है, कई तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों से मुश्किल हालात बने हैं। उन्होंने कहा, "क्वारंटीन और इस तरह की रोकथाम रणनीतियों के नतीजों पर हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि अवसाद, चिंता विकार, मूड डिसऑर्डर, घबराहट, कलंक का आरोप, आत्मनियंत्रण की कमी पृथकवास में रहे लोगों में ज्यादा पाई गई है। एक अन्य समीक्षा में यह बात सामने आई है कि मानसिक स्वास्थ्य तनावों के परिणामस्वरूप लंबे समय तक स्थायी तनाव के लक्षण जैसे भ्रम, जनता में गुस्सा और ऐसे कुछ और सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस घटना से जुड़ी अन्य समस्याओं में घरेलू हिंसा में बढ़ोत्तरी शामिल है, जो महामारी में बहुत जल्दी सामने आने लगी। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, "यह न्यू नॉर्मल में बहुत सामान्य है।" प्रोफेसर सोलेटी ने कहा कि वैसे सरकार और अन्य लोगों के द्वारा इन समस्याओं को दूर करने के लिए इंटरनेट और संचार आधारित सेवाओं के माध्यम से समुदाय तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों (और पेशेवर मदद) की उपलब्धता और पहुंच एक चुनौती है खासतौर से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में। विभिन्न समूहों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर बोलते हुए सुश्री गोस्वामी ने कहा, "अनिश्चितता और असहाय का माहौल है, जिसका लोग सामना कर रहे हैं। यह असाधारण है जिसका लोगों ने पहले कभी अनुभव या सामना नहीं किया। हरसंभव सावधानियां बरतने के बावजूद लोगों में संपर्क में आने और अनजाने में संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है। इस लॉकडाउन ने हमारे सामाजिक व्यवहारों को भी पूरी तरह से बदल दिया है। काम करने की प्रक्रियाओं में बदलाव और नई अवधारणा जैसे "वर्क फ्रॉम होम" जो पहले इतनी लोकप्रिय नहीं थी, अब एक सामान्य रूप से अपनाई जाने वाली व्यवस्था बन गई है। व्यसनों और शराब पीने में भी काफी वृद्धि हुई है। संक्षेप में कहें तो इन सभी स्थितियों ने संघर्षों, नए समायोजन, अकेलेपन और समझ के मुद्दों को जन्म दिया है।
Created On :   24 July 2020 3:14 PM IST