चौथे बच्चे को जन्म देते ही माँ की हुई मौत - भालू के हमले से पिता अपाहिज , 4 मासूम बच्चों का परवरिश करने वाला कोई नहीं

Mother dies after giving birth to fourth child - father is bedridden by bear attack
चौथे बच्चे को जन्म देते ही माँ की हुई मौत - भालू के हमले से पिता अपाहिज , 4 मासूम बच्चों का परवरिश करने वाला कोई नहीं
चौथे बच्चे को जन्म देते ही माँ की हुई मौत - भालू के हमले से पिता अपाहिज , 4 मासूम बच्चों का परवरिश करने वाला कोई नहीं

डिजिटल डेस्क परसवाड़ा । जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा क्षेत्र के ग्राम कुकड़ा के 4 मासूम बच्चे दर-दर की ठोंकरे खाने मजबूर हैं। वनग्राम कुकड़ा के मासूम  बैगा परिवार के 4 बच्चे हैं, जिनके पास ना तो तन ढंकने के लिये कपड़े है और न ही गुजर बसर का कोई जरिया। हालांकि गांव के बैगा आदिवासी परिवार इन बच्चों की भोजन संबंधी जरूरतो को पूरा कर रहे हंै। इन चार बच्चो में सबसे बड़ा 7 वर्ष का हंै तो सबसे छोटे बच्चे की उम्र महज 1 माह हैं, जिसे जन्म देते ही मां का देहांत हो गया था। उधर पिता इंद्रजीत जो की बच्चों का एक मात्र सहारा था उनके गुजर बसर के लिये लकड़ी लाने जंगल गया, जहां रीछ के हमले से बचने के लिये वह कोशिश करते वक्त एक दुर्घटना का शिकार हो गया। जिसमें उसकी दोनो टांगे टूट गई है, जिसका की जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है, ऐसे में इन मासूमो को देखने वाला भी कोई नही हंै।
एक माह पहले ही बेटे को जन्म देते ही चल बसी थी मां
ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा हंै कि वनग्राम कुकड़ा के चार बैगा बच्चों की माता लगभग महीने भर पहले अपनी चौथी संतान को जन्म देने के  तीन-चार दिनों के पश्चात इस दुनिया से चल बसी। ऐसी दशा में ग्राम कुकड़ा के इस बैगा परिवार के चारों नन्हे बच्चों की देखरेख करने वाला भी वर्तमान में कोई नहीं हैं। पिता अपने बच्चो की देखभाल के साथ परवरिश के लिये जंगल लकड़ी लाने का काम भी करता था, लेकिन हादसे ने उसे भी काम के लायक नही छोड़ा।
जंगल गया था पिता, भालू के हमले में गवांई दोनो टांगे
वनग्राम कुकड़ा के इंद्रजीत बैगा अपने और बच्चो के जीवन यापन के लिए गांव से ही लगे जंगल में गए हुए थे इस दौरान शनिवार की शाम जंगल में ही रीछ के हमले से बचाव के लिए वह एक पेड़ पर चढ़ गए जिसे पेड़ पर चढ़ते देख रीछ भी पेड़ पर चढ़ गया जिससे पेड़ पर चढ़े इंदल सिंह ने पेड़ से लगभग 20  फीट की ऊंचाई से जमीन पर छलांग लगा दी नीचे गिरते ही उनकी दोनों टांगे टूट गई। इंदल सिंह के रात्रि काल तक घर नहीं लौटने पर जब ग्रामीणों ने खोजबीन प्रारंभ की तो जंगल में ही एक पेड़ के नीचे रात्रि तकरीबन 11बजे बांस का एक ग_ा पढ़ा हुआ ग्रामीणों ने देखा, जिसे देख ग्रामीणों को लगा कि आसपास ही होगा, खोजबीन करने पर पेड़ के नीचे ही जख्मी हालत में ही इंदल दिखाई पड़ा जिसे ग्रामीणों की मदद से रात्रि में ही ग्राम में लाया गया जिसके पश्चात 108 की मदद ग्रामीणों ने लेनी चाही परंतु ग्राम चीनी से ग्राम कुकड़ा तक की सड़क की खस्ताहाल होने के चलते एवं रात्रि कॉल होने के चलते 108 की सहायता नहीं मिल पाई। ग्रामीणों द्वारा प्रात: काल इंदल को 108 की सहायता से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा लाया गया, जहाँ  प्राथमिक उपचार किया गया। ग्रामीणो द्वारा बताया जा रहा है कि उसके दोनों पैर टूट जाने के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
एक गरीब बैगा परिवार ने अपने घर दी हंै मासूमो को पनाह
 इनके दूर के रिश्तेदार होने के खातिर एक परिवार ने अपने घर पर चारों बच्चों को पनाह दे रखा हंै जिनके द्वारा उन्हें जैसे तैसे दो वक्त का भोजन ही दिया जा रहा है परंतु अब इस परिवार के सदस्यों का भी कहना है कि दूर के रिश्तेदार होने के चलते हम सप्ताह भर इनकी देखरेख कर सकते हैं परंतु बारिश के मौसम में हम जब काम करने के लिए इधर उधर चले गए तो ऐसे में इन बच्चों के साथ कुछ हुआ तो कौन इनकी जवाबदारी लेगा वहीं ग्रामीणों का कहना है कि 4 बच्चों में एक बच्चा तो केवल एक माह भर का है जिसे जैसे तैसे हम प्रति दिवस दूध पिलाकर पाल रहे हैं। रोज रोज कहां से दुध खरीदे। जैसे तैसे हम जंगल जाकर ही अपना पेट भर पा रहे हंै ऐसे मे हम कब तक इस तरह इन बच्चों की देखरेख करते रहेंगे। हम घर में नहीं रहे और कोई अप्रिय घटना इन बच्चों के साथ घट गई तो बेवजह ही हम परेशान होंगे।
इनका कहना है...
यह बात आप के द्वारा संज्ञान में लायी गयी है। कल ही इस ग्राम में एक टीम भेज कर यह दिखवाया जाएगा कि किस तरह से इन परिवार को राहत दी जाये जो भी आवश्यकता होगी सभी बंदोबस्त किये जाएंगे।
दीपक आर्य, कलेक्टर बालाघाट.

 

Created On :   22 Jun 2020 2:32 PM GMT

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