मुश्किलों में भी नहीं खोया धैर्य, हॉल और नेट नहीं मिली तो बास्केटबॉल ग्राउंड में की कराटे की प्रैक्टिस

Patience is not lost even in difficulties, if hall and net are not found, then karate practice in basketball ground
मुश्किलों में भी नहीं खोया धैर्य, हॉल और नेट नहीं मिली तो बास्केटबॉल ग्राउंड में की कराटे की प्रैक्टिस
कराटे खिलाड़ी निधि नन्हेट ने लहराया परचम मुश्किलों में भी नहीं खोया धैर्य, हॉल और नेट नहीं मिली तो बास्केटबॉल ग्राउंड में की कराटे की प्रैक्टिस


डिजिटल डेस्क बालाघाट। महज 3 साल की उम्र में बच्चे खिलौनों के साथ वक्त बिताते हैं, कार्टून चैनल देखने में मशगूल रहते हैं, उस उम्र में शहर की निधि नन्हेट कराटे के गुर सीख रही थीं। संसाधनों के अभाव के बावजूद निधि ने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। 21 सालों तक कड़ी मेहनत की और महज 24 साल की उम्र में वो मुकाम हासिल किया जो हर खिलाड़ी की ख्वाहिश होती है। निधि बालाघाट जिले की पहली खिलाड़ी हैं, जिन्हें विक्रम अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। यह न सिर्फ निधि बल्कि जिले के लिए बड़ी कामयाबी है। हाल ही में वह प्रदेश के उन चुनिंदा छह खिलाडिय़ों में शुमार हुई हैं, जिन्हें भोपाल में होने वाले समारोह में विक्रम अवॉर्ड-2020 से सम्मानित किया जाएगा। इससे पूर्व आज रविवार को बालाघाट प्रवास पर आ रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निधि को इस कामयाबी के लिए सम्मानित करेंगे।
सालों तक मिट्टी के मैदान में की प्रैक्टिस
खेल जगत में विक्रम अवॉर्ड पाना बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। इस सफलता के लिए निधि को करियर के दौरान कई समझौते करने पड़े, आर्थिक संकट से जूझना पड़ा, लेकिन लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकाया। भास्कर से खास बातचीत में निधि ने बताया, बालाघाट में खेलों को लेकर अब प्रयास हो रहे हैं, लेकिन कुछ साल तक यहां संसाधनों का अभाव था, जो खिलाडिय़ों के जज्बों को कमजोर करते थे। करीब तीन साल पहले तक मैंने बास्केटबॉल के ग्राउंड में कराटे की प्रैक्टिस की। क्योंकि तब कराटे के लिए जरूरी हॉल या खास किस्म की नेट नहीं थी। मिट्टी के ग्राउंड में प्रैक्टिस करने के लिए मजबूर होना पड़ा। दरअसल, कराटे की प्रैक्टिस विशेष नेट में ही की जाती है, ताकि अच्छी पकड़ बन सके। तमाम अभावों के बाद भी मेरा लक्ष्य तय था कि मुझे कराटे में ही आगे बढऩा है।
पैसों की तंगी ने रोके बढ़ते कदम
निधि ने बताया- परिवार में पिता श्री रामरतन नन्हेट लवादा में शिक्षक हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि महंगे कोचिंग क्लब से जुड़कर प्रैक्टिस जारी रख सकूं। कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट क्वालिफाई करने के बाद उसमें हिस्सा नहीं ले सकी। इसके पीछे बड़ी वजह थी पैसों की तंगी। आर्थिक कमजोरी ने मेरे कदमों को आगे बढऩे से रोक दिया। तब मन दुखी होता था, लेकिन उस दुख को निराशा या हताशा में कभी नहीं बदला।
हर मोर्चे पर फैमिली ने बढ़ाया मनोबल
निधि अपनी सफलता का क्रेडिट अपने कोच व मेंटर उनके बड़े भाई 28 वर्षीय प्रवीण नन्हेट को देती हैं। निधि ने कहा- बचपन में बड़े भैया मुझे और छोटे भाई को कराटे सिखाने ले जाते थे। तब से इस खेल की तरफ रुचि बढऩे लगी। धीरे-धीरे छोटे स्तर के टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, वहां जीतने लगी तो लगा इसमें करियर बना सकती हूं। अपने स्पोट्र्स करियर के दौरान कई बार ऐसे मौके भी आए कि लगा आगे जाना मुश्किल है, लेकिन तब फैमिली ने हर मार्चे पर मेरा मनोबल बढ़ाया। कमजोर होते जज्बे को जिंदा रखा, जुनून से लडऩा सिखाया।
ओलंपिक में खेलना है सपना
निधि का सपना ओलंपिक खेलों में अपने जिले, प्रदेश और देश का नाम रोशन करना है। उन्होंने कहा- विक्रम अवॉर्ड के लिए जब मेरा नाम चुना गया तो बेहद खुशी हुई। परिवार में उत्सव जैसा माहौल है, लेकिन अपनी यात्रा को आगे बढ़ाकर ओलंपिक तक ले जाना चाहती हूं। अवॉर्ड या सम्मान चाहे जो भी हो, वो खिलाडिय़ों का हौसला बढ़ाते हैं। कड़ी मेहनत करना लक्ष्य था और आगे भी रहेगा।
प्रदेश के 6 खिलाड़ी होंगे सम्मानित       
खेल और युवा कल्याण विभाग, मप्र द्वारा ओलंपिक, एशियन गेम्स एवं राष्ट्रीय खेलों में खेले जाने वाले 6 पुरस्कारों के तहत वर्ष 2020 के पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। पूर्व में जिला खेल कार्यालय, बालाघाट ने कराटे खिलाड़ी निधि नन्हेट का नाम भेजा था। निधि प्रदेश के अन्य 6 खिलाडिय़ों के साथ विक्रम अवॉर्ड हासिल करने वाली जिले की पहली खिलाड़ी बन गई हैं।

Created On :   28 Aug 2021 5:59 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story