भू-स्वामी किसान की जगह किसी ओर का फोटो लगा और असली पहचान पत्र को धुंधला कर कराई गई थी रजिस्ट्री

Katni: Registry was done by blurring the real identity of the land owner.
भू-स्वामी किसान की जगह किसी ओर का फोटो लगा और असली पहचान पत्र को धुंधला कर कराई गई थी रजिस्ट्री
कटनी की ओजस्वी माइनिंग के फर्जीवाड़े की कहानी  भू-स्वामी किसान की जगह किसी ओर का फोटो लगा और असली पहचान पत्र को धुंधला कर कराई गई थी रजिस्ट्री

 मामले  का  खुलासा तब हुआ जब शिकायतकर्ता सीताराम से पड़ोसी ने पूछा, बिना बताए ही बेच दी जमीन
 डिजिटल डेस्क अनूपपुर/कोतमा ।
कटनी की ओजस्वी माइनिंग द्वारा अनूपपुर के कोतमा में भू-स्वामी किसानोंको अंधेरे में रखकर और बिना उनकी सहमति व कोई सौदा हुए करीब 300 एकड़ जमीन की 60 रजिस्ट्रियां करानेे कई हथकंउे अपनाए गए।इस फर्जीवाड़ा में रजिस्ट्री के दौरान लगाए जाने वाले दस्तावेजों में छेड़छाड़ तो की ही गई तस्वीरें भी असली भू-स्वामी के बजाय किसी और की लगा दी गई।  पहचान पत्र जरूर असली भू-सवामी के लगाए गए लेकिन उनमें छेड़छाड़ कर इतना धुधला कर दिया गया कि उसमें लगी असली मालिक की फोटो की पहचान ही नहीं हो सके। इस बड़े भूमि घोटाले में पुलिस अब तक 6 मामले दर्ज कर चुकी हैं, वहीं 35 नए शिकायतकर्ताओं का पता चला है, जिनकी जानकारी के बगैर उनकी जमीन की रजिस्ट्री ओजस्वी माइनिंग के नाम पर करा ली गई।
ऐसे आया मामला सामने
2014 में इस मामले में पहली शिकायत बोडरी निवासी सीताराम ने पुलिस में की थी। उसकी भूमि पड़ोसी लेने का इच्छुक था, पड़ोसी ने ही उसे उलाहना दिया कि जमीन बेचनी थी तो उसे बता देता, जबकि सीताराम ने भूमि नहीं बेची थी। उसने जब राजस्व विभाग में पता किया तो जानकारी मिली कि जमीन ओजस्वी माइनिंग के नाम दर्ज है। तब पुलिस ने ओजस्वी संचालक सहित 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के साथ अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था। हालांकि यह प्रकरण कोर्ट तक नहीं पहुंच सका। वर्तमान एसपी अखिल पटेल ने लंबित मामलों की समीक्षा के दौरान इसकी जांच बढ़ाई तो पांच नए फरियादी सामने आए, जिनकी जमीन भी बेचे बगैर ही ओजस्वी माइनिंग के नाम हो गई थी।  
4 महीने भीतर हो गईं सभी रजिस्ट्रियां
ओजस्वी माइनिंग कटनी के नाम पर जमीन की 60 रजिस्ट्रियां 4 महीने भीतर हो गईं। शुरूआत 9 मई 2013 से हुई जबकि धनपुरी निवासी अमित सिंह की 4 हेक्टेयर भूमि की रजिस्ट्री हुई। इसमें जमीन की कीमत 1.92 लाख रुपए दर्शाई गई। सीताराम की जमीन की रजिस्ट्री 13 सितंबर 2013 को 22 हजार रूपए में की गई थी। मई से लेकर सितंबर 2013 तक कृषकों की करीब 300 एकउ़ जमीन की 60 रजिस्ट्रियां ओजस्वी माइनिंग के नाम पर हो गईं। इस दौरान तीन रजिस्ट्रार भी बदल गए। सबसे पहले एसके डेहारी फिर एसके कुशवाहा और अंत में आरबी सिंह बतौर रजिस्ट्रार कार्यरत रहे। पुलिस का मामना है कि यह फर्जीवाड़ा बिना सरकारी कर्मियों की मिलीभगत के नहीं हो सकता। पुलिस तत्कालीन नायब तहसीलदार निशा नापित की भूमिका भी संदिग्ध मान रही है।
कौडिय़ों के दाम खरीदी जमीन
वर्ष 2013 में जर्रा टोला और खोडरी ग्राम में कृषि योग्य भूमि का बाजार मूल्य लगभग एक लाख रुपए था। अमित सिंह नामक व्यक्ति से खरीदी गई जमीन का बाजार मूल्य 7.70 लाख रुपए था, जबकि इस भूमि को 1.92 लाख रुपए में बेचना बताया गया। यही हाल शेष कृषकों का भी है सीताराम की भूमि का बाजार मूल्य 50 हजार रुपए था जबकि उसे सिर्फ 22 हजार रुपए में खरीदा।
तीन बातें सब में समान
4 महीने भीतर अंदर ही अंदर भू-स्वामियों को अंधेरे में रख कर की गईं सभी रजिस्ट्रियो में तीन बातें समान है। पहला कोतमा में पंजीयन कार्यालय होने के बाद भी सभी रजिस्ट्रिया अनूपपुर में कराई गई। दूसरे सभी में कृषकों के मतदाता परिचय पत्र लगाए गए हैं और तीसरा पहचानकर्ता के रूप में दो युवक सावन मिश्रा एवं सोनू पांडे का नाम है। रजिस्ट्री के दौरान लगाई गई फोटो और ऋण पुस्तिका की जांच भी पुलिस द्वारा की जा रही है। सीताराम की जगह पर किसी दूसरे व्यक्ति की फोटो लगाई गई थी और उसे ही रजिस्ट्रार कार्यालय में प्रस्तुत किया गया। पहचान पत्र सही था लेकिन उसे इतना धुंधला कर दिया गया कि उसमें लगी तस्वीर में असली भूमि स्वामी न पहचाना जा सके। वर्ष 2012 में भी ओजस्वी माइनिंग के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री हुई या नहीं अब इसकी जांच भी की जा रही है। सीताराम के मामले के सामने आने के बाद खोडरी और जर्राटोला के किसानों ने अपनी भूमि नहीं बेचने तथा नामांतरण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद रजिस्ट्री की जांच प्रारंभ कराई गई और नामांतरण नहीं हो पाया।
इनका कहना है
मामले की जांच कराई जा रही है, फरियादियों की संख्या और भी बढ़ सकती है, इसके लिए विशेष टीम का गठन भी किया गया है।
अखिल पटेल, एसपी

Created On :   2 Sep 2021 8:09 AM GMT

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