जिले की पहचान सहेजने 5 क्विंटल वेस्ट प्लास्टिक से बनाई मुन्ना टाइगर की रेप्लिका

एक आर्ट से दो मैसेज-लांजी की आर्टिस्ट रानी मड़ामे ने दो हफ्ते में तैयार किया आर्टपीस जिले की पहचान सहेजने 5 क्विंटल वेस्ट प्लास्टिक से बनाई मुन्ना टाइगर की रेप्लिका

डिजिटल डेस्क बालाघाट। टाइगर बालाघाट की पहचान है। इस पहचान को यंग जनरेशन तक पहुंचाने और इसकी अहमियत समझाने के लिए इन दिनों अनोखे अंदाज में प्रयास हो रहे हैं। शहर के मोती गार्डन में नगर पालिका की पहल पर वेस्ट प्लास्टिक से टाइगर (मुन्ना) और मशरूम की रेप्लिका (प्रतिकृति) तैयार की गई है, जो यहां आने वालों के बीच इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। कान्हा नेशनल पार्क में मुन्ना नाम से मशहूर रहे टाइगर (टी-17) और मशरूम की रेप्लिका खराब और कूड़ेदान में पहुंच चुके प्लास्टिक से बनाई गई है। दरअसल, नगर पालिका बालाघाट द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत लोगों को अवेयर करने वेस्ट प्लास्टिक से आर्ट पीस बनाने की मुहीम शुरू की गई है। इसी कैंपेन के तहत ये आर्ट वर्क तैयार किया गया है। जिसे तैयार किया है लांजी, भानेगांव की आर्टिस्ट रानी मडामे उम्र-24 नेे। वेस्ट प्लास्टिक से तैयार ये आर्ट वर्क उनके करियर की पहली कलाकृति है, जिसे उन्होंने मोती गार्डन में टाइगर मुन्ना के रूप में तैयार की है।
मुन्ना की एक तस्वीर लेने करते थे लंबा इंतजार
टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल के मेंबर रवि पालेवार ने बताया कि मुन्ना नामक टाइगर कान्हा नेशनल पार्क की पहचान था, जिसकी अधिक उम्र के बाद मृत्यु हो गई थी। बताया गया कि इसे टी-17 और बिग डैडी के नाम से भी जाना था। खास बात यह है कि मुन्ना की एक तस्वीर लेने के लिए देश-विदेश के बड़े-बड़े फोटोग्राफरों को अच्छे एंगल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। मुन्ना को कुदरत को अनमोल तोहफा मिला था। उसके माथे पर नेचुरल तरीके से ऐसी धारी पट्टी थी, जिसे पढऩे पर अंग्रेजी का कैट (बिल्ली) शब्द पढ़ा जाता था। श्री पालेवार ने बताया कि मुन्ना को 24 अक्टूबर 2019 को कान्हा नेशनल पार्क से भोपाल स्थित वन विहार में स्थानांतरित किया गया था। करीब 21 साल की उम्र में मुन्ना का निधन हो गया था।
बारहसिंगा की रेप्लिका बनाने की तैयारी
नगर पालिका द्वारा आने वाले दिनों में मोती गार्डन में बारहसिंगा की रेप्लिका बनाने की योजना है, जिसका कार्य संभवत: अगले हफ्ते से शुरू होगा। नगर पालिका की स्वास्थ्य शाखा प्रभारी ओमप्रकाश उइके ने बताया कि टाइगर, बारहसिंगा जिले की पहचान है, जिसकी रेप्लिका बनाकर लोगों को इसकी खासियत और महत्व बताना नपा का मकसद है। हाल ही में बनी मुन्ना की रेप्लिका लोगों को वल्र्ड फेमस टाइगर मुन्ना की यादों को सहेजने और नई पीढ़ी को मुन्ना की जानकारी देना है, जिसे वेस्ट प्लास्टिक से बनाया गया है। इसके जरिए लोगों को पर्यावरण संरक्षण का भी मैसेज दिया जा रहा है।
दो हफ्ते में तैयार किया आर्ट पीस
2021 में खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से बैचलर और मास्टर ऑफ फाइन आर्ट इन स्क्लपचर विषय में पढ़ाई कर चुकीं लांजी की आर्टिस्ट रानी मड़ामे ने बताया कि मोती गार्डन में टाइगर और मशरूम की रेप्लिका बनाने में उन्हें करीब दो हफ्ते का समय लगा। इसके लिए करीब 5 क्विंटल वेस्ट पॉलीथिन और 4 से 5 हजार खराब प्लास्टिक बोतल इस्तेमाल की गई है, जो कचरे के ढेर में पड़े-पड़े पर्यावरण को दूषित कर रही थी। मैं पिछले छह साल से आर्ट वर्क कर रही हूं, लेकिन वेस्ट प्लास्टिक से जिले की पहचान टाइगर की रेप्लिका बनाना अलग ही एक्सपीरियंस है। अगले हफ्ते से गार्डन में बारहसिंगा का काम शुरू करूंगी। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए पापा छोटेलाल मड़ामे (शिक्षक) और मम्मी कंचना मड़ामे हमेशा सपोर्ट करते हैं।

Created On :   13 Jan 2022 2:34 PM GMT

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