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एससीएसटी एक्ट में नहीं दे सकते अग्रिम जमानत, आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने पुलिस बाध्य
डिजिटल डेस्क जबलपुर। एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कहा- "एससीएसटी एक्ट में भले ही सजा सात साल से कम हो, लेकिन ऐसे मामले में अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस बाध्य है।Ó इस मत के साथ जस्टिस जेपी गुप्ता की एकलपीठ ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देकर गिरफ्तारी से बच रहे एक आरोपी की अपील खारिज कर दी।
छतरपुर के सिविल लाईन्स थानांतर्गत छुई खदान में रहने वाले विकेन्द्र बाजपेई के खिलाफ एक महिला ने एससीएसटी एक्ट और भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। महिला का आरोप था कि जान से मारने की धमकी देकर आरोपी ने उसका जातिगत अपमान किया है। मामले में छतरपुर की विशेष अदालत से 17 मार्च को अग्रिम जमानत न मिलने पर यह अपील हाईकोर्ट में दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से कहा गया कि आरोपी का नाम एफआईआर में नहीं इसलिए प्रथम दृष्टया उस पर कोई अपराध नहीं बनता। वहीं अपराध सात वर्ष से अधिक का नहीं है, इसलिए उसको हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है। इन दलीलों का शासन की ओर से पैनल अधिवक्ता अजय ताम्रकार ने विरोध किया। सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी की ओर से दी गईं दलीलों को नकारते हुए कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी के खिलाफ प्रथमदृष्टया कोई अपराध नहीं बनता। ऐसे में वह अग्रिम जमानत का लाभ पाने का हकदार नहीं है।
Created On :   21 Jun 2020 10:08 PM IST