बड़ी सफलता : समय पूर्व जन्मे कम वजन के सात बच्चों को मिला नया जीवन

Seven children born before the time of birth were given new life
बड़ी सफलता : समय पूर्व जन्मे कम वजन के सात बच्चों को मिला नया जीवन
बड़ी सफलता : समय पूर्व जन्मे कम वजन के सात बच्चों को मिला नया जीवन

डिजिटल डेस्क बालाघाट । भारत सरकार एवं यूनिसेफ के मदद से जिला चिकित्सालय बालाघाट में संचालित नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई एसएनसीयू समय से पहले जन्मे एवं कम वजन के बच्चों का जीवन बचाने एवं उन्हें नया जीवन देने में निरंतर सफलता हासिल कर रही है। आज 21 मई  को ऐसे ही 07 बच्चों को उनके स्वस्थ्य होने एवं वजन में वृद्धि होने पर एसएनसीयू से छुट्टी प्रदान कर दी गई है। समय से पहले जन्म लेने एवं कम वजन के बच्चों की जीवन रक्षा से इन बच्चों के माता-पिता बहुत खुश है। इन बच्चों का एसएनसीयू में उपचार पूरी तरह से नि:शुल्क हुआ है। गौरतलब है कि इन बच्चों का गर्भावस्था का समय औसतन 30 सप्ताह रहा जबकि जन्म के समय इनका वजन 750 से 850 ग्राम के बीच रहा। ऐसे बच्चों का जीवन बचाना बड़ी चुनौती होती है ।

वारासिवनी निवासी मुनेश्वरी पति सहेश ने 32 सप्ताह में ही 805 ग्राम वजन के शिशु को जन्म दिया था। इसी प्रकार किरनापुर तहसील के ग्राम पल्हेरा की निवासी प्रेमलता पति नरेन्द्र ने 30  सप्ताह में दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। लांजी तहसील के ग्राम गिडोरी की सीमा पति मनोज ने 30  सप्ताह, बैहर तहसील के ग्राम बडग़ांव की फुलवंती पति गजेन्द्र ने 32  सप्ताह, लांजी तहसील के ग्राम बोलेगांव की अंतकला पति टुंडीलाल ने 32  सप्ताह तथा खैरलांजी तहसील के ग्राम बकोड़ी की गीता पति संजय ने 30  सप्ताह की गर्भ अवधि के बाद शिशु को जन्म को दिया था। यह सभी नवजात शिशु समय से बहुत पहले जन्मे थे और उनका वजन बहुत ही कम था।

शिशु रोग विशेषज्ञ एवं एसएनसीयू के प्रभारी डॉ निलय जैन ने आज 21 मई को पत्रकार वार्ता में बताया कि समय से पहले जन्मे एवं कम वजन के बच्चों का बचना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू ऐसे बच्चों का जीवन बचाने में सफल हो रही है। इस सफलता के पीछे एसएनसीयू के स्टाफ की बहुत बड़ी भूमिका है। पत्रकार वार्ता में सिविल सर्जन डॉ अजय जैन भी उपस्थित थे।

डॉ निलय जैन ने बताया कि जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू में भर्ती किये गये इन बच्चों को गहन देखरेख में रखा गया और उन्हें शुरू में नली से दूध पिलाया गया। मुनेश्वरी पति सहेश के शिशु को तीन बार खून चढ़ाना पड़ा। इसी प्रकार गीता पति संजय के शिशु को एक बार, फूलवंती पति गजेन्द्र के शिशु को दो बार एवं प्रेमलता पति नरेन्द्र के जुड़वा में से एक शिशु को दो बार खून चढ़ाना पड़ा। 06 दिन से 50 दिन तक जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू में भर्ती रखने के बाद कम वजन के सभी सात शिशु स्वस्थ्य हो चुके है और उनकी हालत अब खतरे से बाहर है। इन शिशुओं की जीवन रक्षा करने के बाद उन्हें आज 21 मई 2018 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यदि इन शिशुओं का उपचार नागपुर या अन्य स्थान पर कराया जाता तो माता-पिता को 10 दिन में 05 से 07 लाख रूपए तक खर्च आता। लेकिन जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू में इन शिशुओं का नि:शुल्क उपचार किया गया है।

डॉ निलय जैन ने बताया कि बालाघाट जिला चिकित्सालय की नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (एसएनसीयू) मध्यप्रदेश में सबसे अच्छी है। इतनी अच्छी एवं सर्वसुविधा युक्त एसएनसीयू गोंदिया, भंडारा सहित प्रदेश के आसपास के जिलों में भी नहीं है। बालाघाट में नवजात शिशुओं का एक भी नर्सिंग अस्पताल नहीं होने के कारण जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू पर बहुत दबाव रहता है। जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू में हर दिन कम वजन के एवं समय से पहले जन्में 10 से 15 बच्चे भर्ती कराये जाते है। एक माह में 300 से 350 शिशुओं को भर्ती कराया जाता है और उनका उपचार कराया जाता है।

डॉ निलय जैन ने बताया कि जिला चिकित्सालय बालाघाट की एसएनसीयू में 19 बेड है और 19 प्रशिक्षित नर्सेस का स्टाफ 24 घंटे शिशुओं की देखरेख में लगा रहता है। बेड कम होने के कारण एक बेड पर तीन शिशुओं को भी रखना पड़ता है। एसएनसीयू में नवजात शिशुओं के उपचार की सभी आपातकालीन सुविधायें उपलब्ध है। इस इकाई को दो नई सीफेब मशीन भी प्राप्त हो गई है। इन मशीनों को शीघ्र ही चालू किया जाएगा। जिससे एसएनसीयू में वेंटीलेटर की कमी नहीं खलेगी।

Created On :   21 May 2018 7:06 PM IST

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