- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- नर्मदा तटों पर खास मौकों के लिए...
नर्मदा तटों पर खास मौकों के लिए बड़ी परेशानी बने सिंगल यूज प्लास्टिक
प्रतिबंध के बाद धड़ल्ले से उपयोग, किसी तरह का नियंत्रण नहीं, बहते पानी में समाहित कर रहे कचरा-गंदगी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । जब कोई विशेष अवसर होता है, खास मौका होता है तो नर्मदा तटों पर उन हालातों में भीड़ ज्यादा होती है। भीड़ बढ़ते ही नर्मदा तटों पर सिंगल यूज प्लास्टिक, पॉलीथिन का बोझ अधिक बढ़ जाता है। अभी नये साल की शुरूआत में भी हालात एकदम बीते कुछ सालों की तरह ही हैं। किसी तरह का सबक हम सीखने तैयार नहीं हैं। नर्मदा के तटों पर बेरुखी भरे अंदाज में सिंगल यूज प्लास्टिक, पॉलीथिन का बेतहाशा उपयोग किया जा रहा है। लोग समझने तैयार ही नहीं हैं कि यह अपघटित न होने वाला प्लास्टिक नर्मदा के स्वच्छ बहते जल को जहरीला बनाने के साथ कई तरह के नुकसान पहुँचा रहा है। लोग माँ रेवा की आराधना करने तो आ रहे हैं, लेकिन दीपदान करने के साथ कचरा नदी में ही फेंका जा रहा है। इसी तरह सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे पीने के पानी की बॉटल, पॉलीथिन के टुकड़े, पॉलीपैक सामग्री के पैकेट और बहुत कुछ सब बेदर्दी के साथ बहते हुये जल में बहाया जा रहा है। जो नजारा और सालों में रहा वही इस साल की शुरूआत में भी नजर आ रहा है।
लेमीनेटेड दोने अपघटित नहीं होते
नये साल में दीपदान करने वालों की एकदम भीड़ जमा है। माँ रेवा की भक्ति सबको खुशहाली देती है, लेकिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जो दीपदान पॉलीथिन चढ़ी परत से किया जा रहा है वह दोना बहते पानी में घुलता नहीं है। विशेष मुहूर्तों, पूर्णिमा, अमावस्या, शनिवार, रविवार और अवकाश के विशेष दिनों में दीपदान करने वालों की भीड़ बढ़ती है, इसी के साथ प्लास्टिक का बोझ भी उसी तरह बढ़ता ही जा रहा है। नये साल में ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक का यह कचरा सभी प्रमुख तटों पर देखा जा सकता है।
सभी तटों पर एक सी समस्या
नर्मदा का कोई तट छोटा हो या बड़ा या फिर जहाँ पर कम भीड़ आती है वहाँ पर भी प्लास्टिक मुसीबत बना ही है। भटौली, जिलहरी, ग्वारीघाट, उमाघाट, खारीघाट, तिलवारा, लम्हेटा, सरस्वती, भेड़ाघाट सभी प्रमुख घाटों में किनारे के हिस्से में सिंगल यूज प्लास्टिक के ढेर जमा हैं। यह प्लास्टिक तट के साथ ही बहते जल में और फिर जहाँ पर स्वच्छ जल बहता है वह जमा होता रहता है।
अब तो नैसर्गिक बहाव पर असर
पॉलीथिन की वजह से ही अब ऐसी स्थितियाँ निर्मित हो रही हैं कि नर्मदा के नैसर्गिक बहाव तक में असर हो रहा है। अभी तक नर्मदा दोनों ही हिस्सों में पूरे तेज बहाव के साथ बहती थी, पर अब सर्दियाँ खत्म होते ही मार्च तक पानी कम हो जाता है, क्योंकि उद््गम स्थल से डिण्डौरी, मण्डला और जबलपुर के कई घाटों तक इसके किनारे ज्यादा मात्रा में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ते ही गंदगी, कचरा, प्लास्टिक, पॉलीथिन जमा हो रही है। गंदगी बहती धार की गति को कम करती है। जल की गुणवत्ता पर असर होता है, साथ ही नीचे यह कचरा जमा होता है जिससे प्राकृतिक वातावरण को नुकसान होने के साथ कई तरह के नुकसानदायक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अनदेखी में हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं।
Created On :   6 Jan 2021 4:13 PM IST