झुग्गी वालों को सड़क पर बसने का हक नहीं : हाईकोर्ट ने कहा- हाई पॉवर कमेटी करे विचार

Slum dwellers do not have the right to settle on the road: High court said - consider high power committee
झुग्गी वालों को सड़क पर बसने का हक नहीं : हाईकोर्ट ने कहा- हाई पॉवर कमेटी करे विचार
झुग्गी वालों को सड़क पर बसने का हक नहीं : हाईकोर्ट ने कहा- हाई पॉवर कमेटी करे विचार

डिजिटल डेस्क जबलपुर । एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि पट्टा के आधार पर किसी भी झुग्गी वासी को सड़क पर बसने का हक नहीं दिया जा सकता। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने यह टिप्पणी उन दो किसान भाईयों की याचिका पर की, जिन्हें इन अतिक्रमण के कारण खेती करने में मुश्किलें आ रहीं थीं। अदालत ने हाई पॉवर कमेटी को कहा है कि 3 माह के भीतर उन झुग्गी वासियों को कहीं और शिफ्ट किया जाए। यह याचिका नरसिंहपुर जिले के कंदेली में रहने वाले चौधरी भूपेन्द्र सिंह और चौधरी लक्ष्मण सिंह (दोनों भाई) की ओर से दायर की गई थी। 
नहीं कर पा रहे खेती 
आवेदकों का कहना था कि संकल गांव में उनकी खेती की जमीन है। उनकी जमीन से लगी सरकारी जमीन पर सड़क बनाई गई और फिर कई लोगों ने पट्टा लेकर उसी सड़क पर झुग्गियां बना लीं। आवेदकों का आरोप था कि इन्हीं झुग्गियों की वजह से वो न तो अपने खेत तक पहुंच पा रहे और न ही वहां खेती कर पा रहे हैं। उन सभी झुग्गी वासियों को कहीं और बसाने याचिकाकर्ताओं ने प्रशासन को दी। आरआई और नगर निगम द्वारा दी गईं रिपोर्टों के आधार पर कलेक्टर ने 4 मई 2008 को याचिकाकर्ताओं को स्वतंत्रता दी कि अतिक्रमणकारियों को हटवाने वो उचित आवेदन दें। साथ ही तहसीलदार को निर्देशित किया कि भू राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत अतिक्रमणकारियों के खिलाफ वे कार्रवाई करें। इसके बाद अतिक्रमणकारियों ने कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां से मामला वापस कलेक्टर को पुनर्विचार के लिए भेजा गया। कलेक्टर ने 31 मार्च 2011 को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके अतिक्रमणकारियों को दिया पट्टा निरस्त कर दिया, लेकिन यह व्यवस्था भी दी कि जब तक उन्हें रहने के लिए कहीं और पट्टा नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें न हटाया जाए। इसके बाद कार्रवाई जारी रही मामला संभागायुक्त और बोर्ड ऑफ रेवेन्यू तक गया। बोर्ड ने 6 फरवरी 2013 को फैसला सुनाते हुए कहा कि कलेक्टर ने अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग करके 31 मार्च 2011 को पट्टाधारकों के खिलाफ आदेश दिया है। कलेक्टर के आदेश को अवैध ठहराते हुए बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने निरस्त किया। इसी आदेश को चुनौती देकर यह याचिका वर्ष 2013 में दायर की गई थी।
 

Created On :   10 Oct 2019 8:49 AM GMT

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