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नहीं हो पाए स्टेट बार कौंसिल के पदाधिकारियों के चुनाव

अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराने धरने पर बैठे पूर्व चेयरमैन, 17 अप्रैल तक बैठक टली
डिजिटलय डेस्क जबलपुर । पदाधिकारियों के चुनाव के लिए रविवार को बुलाई गई स्टेट बार कौंसिल की बैठक शुरू होते ही हंगामा खड़ा हो गया। बैठक की शुरूआत में वर्तमान चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराने से इनकार करने पर पूर्व चेयरमैन शिवेन्द्र उपाध्याय धरने पर बैठ गए। इसके बाद बैठक को 17 अप्रैल के लिए टाल दिया। इससे स्टेट बार कौंसिल के पदाधिकारियों के चुनाव नहीं हो पाए। रविवार को स्टेट बार कौंसिल के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए बैठक बुलाई गई थी। चुनाव कराने के लिए बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सचिव आए हुए थे। इस बैठक में सभी 25 सदस्य मौजूद थे। बैठक शुरू होते ही पूर्व चेयरमैन शिवेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि पहले वर्तमान चेयरमैन के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराई जाए। चेयरमैन डॉ. विजय चौधरी ने कहा कि बैठक पदाधिकारियों के चुनाव के लिए आयोजित की गई है, इसमें अविश्वास प्रस्ताव पर बहस नहीं कराई जा सकती है। इससे नाराज होकर श्री उपाध्याय धरने पर बैठ गए। इससे बैठक में हंगामा मच गया। कुछ सदस्यों ने बैठक को टालने का प्रस्ताव रखा। आपसी सहमति बनने के बाद बैठक को 17 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। पी-4
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में एसबीसी चेयरमैन डॉ. विजय चौधरी, शिवेन्द्र उपाध्याय, मनीष दत्त, मनीष तिवारी, रामेश्वर नीखरा, आरके सिंह सैनी, अहादुल्ला उस्मानी, राधेलाल गुप्ता, जगन्नाथ त्रिपाठी, मृगेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र वर्मा सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी याचिका -
एसबीसी के पूर्व चेयरमैन शिवेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि वर्तमान चेयरमैन कह रहे कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन चौथाई बहुमत की आवश्यकता होगी, यह नियम बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने लागू कर दिया है, जबकि हकीकत यह है कि अभी यह नियम स्टेट बार कौंसिल में लागू नहीं हुआ है। सामान्य बहुमत के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। इस मामले में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
वकीलों को 8 करोड़ की आर्थिक सहायता देने का था प्रस्ताव
स्टेट बार कौंसिल की रविवार को आयोजित बैठक में कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे प्रदेश के वकीलों को 8 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रस्ताव पेश होना था। इसके अलावा स्टेट बार कौंसिल की नई बिल्डिंग के लिए मुख्यमंत्री से 50 करोड़ की सहायता के लिए प्रस्ताव पारित किया जाना था।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।